जलवायु परिवर्तन का असर इस बार साफ नजर आया. इस साल बारिश के पैटर्न में काफी बदलाव देखने को मिले. इससे कहीं मूसलाधार बारिश हुई तो कहीं सूखा पड़ा, जिससे किसानों की मुश्किलें बढ़ गईं. कई इलाकों में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई और कुछ जगहों पर किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए ट्यूबवेल का सहारा लेना पड़ा.
रांची और आसपास के इलाकों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण किसानों के खेतों में लगी लगभग 70 फीसदी सब्जियां बर्बाद हो गयी हैं. मूसलाधार बारिश के कारण राजधानी के कांके इलाके में हजारों हेक्टेयर में लगी फूलगोभी, पत्तागोभी, धनिया पत्ती, टमाटर, करेला, मिर्च, टमाटर, भिंडी और अन्य सब्जियां खेतों में ही लगभग बर्बाद हो गयी हैं.
बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. इस वर्ष सही समय पर बारिश नहीं होने के कारण अधिकांश किसान धान की खेती नहीं कर पाये हैं. कांके के इचापीढ़ी पंचायत के किसान हसीब अंसारी ने बताया कि उनकी करीब एक एकड़ जमीन में पत्तागोभी और फूलगोभी की सब्जी तैयार होने वाली थी, लेकिन लगातार बारिश के कारण 70 से 80 फीसदी सब्जियां खेतों में ही बर्बाद हो गयी.
किसान पंचम उराँव एवं मोहम्मद गुफरान अंसारी ने भी बताया कि उन्होंने अपने खेतों में सब्जी लगायी है. लेकिन भारी बारिश के कारण खेतों में लगी लगभग सारी सब्जियां बर्बाद हो गईं. हमने बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड लोन लिया और खेती शुरू की.
इस वर्ष धान की खेती भी नहीं हो सकी है. हम किसान कर्ज में डूबे हुए हैं. अब तो सरकार से ही उम्मीद है. इचापिड़ी पंचायत के मुखिया लाखन उराँव ने बताया कि हम सुबह से ही पंचायत में भ्रमण कर क्षति का जायजा ले रहे हैं. बहुत नुकसान हुआ है.
कई गरीब लोगों के कच्चे मकान बारिश की वजह से ढह गए. राज्य सरकार से अपील करता हूँ कि, सरकार तुरंत नुकसान का सर्वे करा कर किसानों को तत्काल मुआवजा मुहैया कराए.
एक तरफ जहां भारी बारिश के कारण सब्जियां खराब होती दिख रही हैं, वहीं दूसरी तरफ धान की खेती करने वाले किसानों को बारिश की कमी का सामना करना पड़ा. यूपी और बिहार के कई इलाकों में कम बारिश के कारण धान की खेती करने वाले किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
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