केरल के नेंद्रन केले का नाम आपने सुना होगा. इस केले की धूम केवल केरल में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. कई देशों में इसका निर्यात होता है. तमिलनाडु में भी इसकी बड़े पैमाने पर खेती होती है. यह केला अपने रंग और स्वाद के लिए जाना जाता है.
केले की और भी कई वैरायटी हैं जैसे पूवन, रस्ताली, करवोरावल्ली और इलाची जिनकी अच्छी मांग रहती है. लेकिन इन सबमें नेंद्रन केले को श्रेष्ठ माना जाता है. इस केले को कावेरी नदी के किनारे वाले इलाकों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है.
केरल में तकरीबन 9,000 हेक्टेयर में नेंअल्लीथुराई, कुज़ुमनी, थिरुवलार्चोलाई, मणिकंदम, थिरुवलार्चोलाई, पनयापुरम, अन्थनल्लूर और जीयापुरम उन क्षेत्रों में आते हैं जहां नेंद्रन केले की प्रमुख रूप से खेती होती है. इन इलाकों में दूर-दूर के व्यापारी नेंद्रन केले को खरीदने आते हैं.
केरल के कई जिलों में नेंद्रन केले का उत्पादन इसलिए भी अधिक होता है क्योंकि मेट्टूर डैम से सिंचाई के लिए पानी मिल जाता है. यहां के किसानों को कभी पानी की किल्लत का सामना करना नहीं पड़ता. कावेरी नदी का पानी भी लगातार मिलता रहता है. इससे केले की फसल सेहतमंद बनी रहती है.
केरल में प्रति एकड़ इस केले की पैदावार 13 से 15 टन होती है. इस केले की कटाई मार्च महीने में होती है. उसके बाद अलग-अलग राज्यों में इसकी सप्लाई की जाती है. इस साल खेत में से इस केले की बिक्री 30-40 रुपये प्रति किलो के रेट से हुई है. मार्केट में आते-आते इसका भाव और भी बढ़ जाता है. इससे किसानों की अच्छी कमाई होती है.
मार्च महीने में केरल में मौसम कुछ खराब रहा जिससे इसके कई पौधे खेतों में उखड़ गए. इससे कटाई पर कुछ असर देखा गया. उस वक्त कई इलाकों में नेंद्रन केले का भाव कम भी रहा, लेकिन बाद में इसमें उछाल देखा गया. अभी हाल में ओणम बीता है जिस पर नेंद्रन केले की भारी मांग देखी जाती है. इससे केला किसानों की कमाई बढ़ जाती है.
केरल में एक छोटी सी पंचायत है जिसका नाम है मेट्टाथूर. यहां के किसानों ने महज 10 दिनों में एक करोड़ रुपये की कमाई कर ली. ओणम पर इन किसानों की कमाई बढ़ी थी और खास बात ये कि इसमें नेंद्रन केले का सबसे बड़ा रोल था. ओणम में केले की मांग अधिक रहती है और नेंद्रन की खेती करने वाले किसानों ने बेहद अच्छी कमाई की.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today