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इसे कहते हैं मेहनत मिट्टी में मिलना, रुला देगी इस किसान की कहानी, 60 बोरी प्याज बेचा मगर कमाई हुई जीरो

इसे कहते हैं मेहनत मिट्टी में मिलना, रुला देगी इस किसान की कहानी, 60 बोरी प्याज बेचा मगर कमाई हुई जीरो

अमूमन ऐसा होता नहीं है कि किसान को ही उलटा दुकानदार को पैसा देना पड़ जाए. लेकिन ऐसा हुआ है, वह भी खेती के गढ़ नागपुर के बीड में. यहां एक किसान का प्याज इतने कम भाव में बिका कि दुकानदार ने किसान से ढुलाई, तोलाई, हम्माली और मजदूरी का पैसा जोड़कर ले लिया.

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नागपुर के बीड में प्याज किसानों की हालत बहुत खराब है नागपुर के बीड में प्याज किसानों की हालत बहुत खराब है

महाराष्ट्र के बीड जिले के किसान आजकल परेशान हैं. आसमानी आफत उनपर पूरी तरह से टूट पड़ी है. इससे उनके प्याज की फसल चौपट हो गई है. जिस प्याज से उनका घर-परिवार चलता है, जो प्याज सालभर का खर्च निकालता है. उसी प्याज को मौसम ने पूरी तरह से बर्बाद कर दिया. अब किसानों के सामने संकट इस बात का है कि आगे क्या होगा. इसी सिलसिले में बीड से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई. यहां एक किसान को दुकानदार को ही उलटा पैसे देने पड़े. कहां उस किसान को प्याज के लिए पैसे मिलने थे, लेकिन मामला पूरी तरह से उलटा पड़ गया.   

मामला कुछ यूं है कि आप भी सोच में पड़ जाएंगे. ये दर्दनाक कहानी नागपुर, बीड के बुद्रुक गांव के किसान फूलचंद सिंघान की है. सिंघान डेढ़ एकड़ खेत के मालिक हैं और इसी डेढ़ एकड़ खेत से उनका परिवार गुजर-बसर करता है. किसान फूलचंद सिंघान को प्याज की खेती में दो हजार रुपये खेत जुताई में लग गए. इसके अलावा तीन हजार बुवाई के लिए, एक हजार बैल पालने के लिए, सात हजार बीज के लिए, नौ हजार निराई के लिए, 10 हजार छिड़काव के लिए, 30 हजार कटाई के लिए, सात हजार 225 रुपये खाद के लिए लग गए. इतना खर्च के बाद भी किसान फूलचंद सिंघन और उनके परिवार के चेहरे पर संतोष था. यह मानते हुए कि सोलापुर के बाजार में प्याज की अच्छी कीमत मिलती है. उपज निकलने के बाद उन्होंने सोलापुर के सिद्धेश्वर अदात बाजार में 60 बोरी प्याज बेची. इस दौरान उनकी आंखों में आंसू आ गए. जो सोचा नहीं था, वह मंजर उन्हें देखना पड़ा.

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क्या है पूरा मामला?

किसान फूलचंद सिंघान ने इस बारे में बताया कि उन्होंने अपने बच्चे की तरह प्याज की खेती की. मेहनत की, खाद डाली और महिला मजदूरों के साथ प्याज निकाला. फिर दो पैसे कमाने के लिए प्याज को सोलापुर बाजार ले गए. लेकिन उन्हें 50 पैसे प्रति किलो का भाव मिला. हालत ये हो गई कि जिस प्याज का उन्हें पैसा मिलना था, उसके लिए उलटा पैसे देने पड़े. किसान को उलटा दुकानदार को नौ सौ रुपये देने पड़ गए. इसके बाद प्याज किसान फूलचंद सिंघान ने सरकार से गुहार लगाई. सरकार से पूछा कि आखिर वे कैसे जिएंगे. प्याज की यही हालत रही तो मरने की नौबत आ जाएगी. 

फूलचंद सिंघान की पत्नी ने बताया कि प्याज की खेती के दौरान वे सुबह नौ बजे खेत में चले जाते थे और पांच-छह बजे तक काम करते थे. इस प्याज को तैयार करने में काफी मेहनत करनी पड़ी. लेकिन प्याज की कीमत 50 पैसे है. इस तरह तो किसानों का मजाक बनाया जा रहा है. सिंघान की पत्नी सरकार से सवाल पूछती हैं कि आखिर उनकी गलती क्या है जो खेती की ऐसी स्थिति हो गई.

मुख्यमंत्री शिंदे से गुहार

फूलचंद सिंघान बीड जिले के एकमात्र किसान नहीं हैं, जिन्हें बाजार में उपहास का सामना करना पड़ा है. इस तरह के कई किसान हैं जो आज खून के आंसू रो रहे हैं. प्याज उगाने के लिए किसान सुबह से ही जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. लेकिन अंत में उनकी किस्मत में यही आता है कि उलटा दुकानदार को ही पैसे देने पड़ते हैं. इन किसानों का सरकार से सवाल है कि आखिर वे कहां जाएं. उनका गुजारा कैसे होगा जब प्याज कौड़ियों के भाव बिकेगा. किसानों की शिकायत है कि मुख्यमंत्री केवल घोषणाएं करते हैं. जो घोषणाएं धरातल पर नहीं उतरतीं. किसान पूछ रहे हैं कि क्या सरकार और मुख्यमंत्री बीड जिले के किसानों की आवाज सुनेंगे?

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उलटा किसान को देने पड़े पैसे

ऐसा होता नहीं है, लेकिन बीड के किसान फूलचंद को ऐसे दिन भी देखने पड़े जब पैसे लेने के बदले दुकानदार को देने पड़े. फूलचंद जब अपने प्याज का पैसा दुकानदार से लेने गए तो जवाब मिला कि ढुलाई, हम्माली और मजदूरी का खर्च जोड़ें तो उलटा किसान को ही देना पड़ेगा. किसान का कुछ प्याज डेढ़ रुपया तो कुछ एक रुपया और कुछ 50 पैसा किलो बिका. दूसरी ओर दुकानदार ने वाहन किराया 3400 रुपये, हम्माली 230 रुपये, तोलाई 137 रुपये, हजरी महिला 90 रुपये जोड़े और कुल खर्च 3857 रुपये निकाला. अंत में स्थिति ये हो गई कि किसान को दुकानदार को अपनी तरफ से 986 रुपये देने पड़े.