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गरमा धान और गेहूं की खेती के करने वाले किसानों के लिए जरूरी खबर, ऐसे करें फसलों की देखभाल

गरमा धान और गेहूं की खेती के करने वाले किसानों के लिए जरूरी खबर, ऐसे करें फसलों की देखभाल

जिन किसानों ने गरमा धान की खेती की है और धान लगाए हुए छह से सात हफ्ते का समय बीत चुका है, वे किसान अपने खेत में 25 से 28 किलोग्राम यूरिया का भुरकाव प्रति एकड़ करें. ध्यान रहे कि यूरिया का भुरकाव मौसम साफ होने पर ही करें. इसके अलावा किसान खेत में यूरिया डालने से पहले खर-पतवार का नियंत्रण जरूर कर लें.

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खेत में लगी गेहूं की फसल                 फोटोः किसान तक खेत में लगी गेहूं की फसल फोटोः किसान तक

झारखंड समेत देश के कई राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हो रही है. इसके कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ है. खड़ी फसलों में गेंहू और सरसों को भारी नुकसान हुआ है. झारखंड में ओलावृष्टि के कारण खेत में लगी तैयार सब्जियां पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं. इसे देखते हुए मौसम विभाग और कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए सलाह जारी की है, ताकि किसानों को नुकसान कम से कम हो. इसके अलावा गरमा धान और सब्जियों की खेती के लिए सलाह जारी करते हुए किसानों से सब्जियों को रोग और कीट से बचाने के लिए भी सलाह जारी किया गया है.

किसानों से कहा गया है कि आने वाले दिनों में मौसम को देखते हुए वे कीटनाशक और उर्वरक का प्रयोग करना बंद करें. इसके अलावा सिंचाई भी नहीं करें. साथ ही कहा गया है कि खड़ी फसलों को मिट्टी जनित रोगों से बचाने के लिए पिछले दिनों में हुई बारिश के कारण टूटी हुई सब्जियों को खेत से निकाल दें और परिपक्व हो चुके फसलों की जल्द से जल्द कटाई करने के बाद उसे सूखे और सुरक्षित स्थान पर रखें. 

गरमा धान को रोग से बचाएं किसान

जिन किसानों ने गरमा धान की खेती की है और धान लगाए हुए छह से सात हफ्ते का समय बीत चुका है, वे किसान अपने खेत में 25 से 28 किलोग्राम यूरिया का भुरकाव प्रति एकड़ करें. ध्यान रहे कि यूरिया का भुरकाव मौसम साफ होने पर ही करें. इसके अलावा किसान खेत में यूरिया डालने से पहले खर-पतवार का नियंत्रण जरूर कर लें. इस मौसम में कहीं-कहीं पर झुलसा रोग के मामले भी सामने आते हैं. इससे बचाव के लिए ट्राइसाइक्लाजोल 6 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. दवा का छिड़काव मौसम साफ होने पर हीं करें. 

गेहूं का इस तरह रखें खयाल

सब्जियों की बात करें तो इस समय टमाटर और भिंडी की फसलों में मिट्टी जनित रोग जैसे अंकुर का सड़ना, तना सड़ने के मामले सामने आते हैं. ऐसे में इन्हें बचाने के लिए किसान पौधों की जड़ों के पास ऑक्साईक्लोराइड का छिड़काव दो मिली प्रति लीटर पानी के साथ करें. गेहूं की बात करें तो इस समय खेतों में मौजूद अधिकांश गेहूं दाना भरने की अवस्था में हैं. ऐसे में किसान इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि खेत में नमी की कमी नहीं हो, इसलिए समय-समय पर खेत की सिंचाई करते रहें. किसान अपने खेत में ध्यान दें कि इस समय खेत में फ्लेरिस माइनर नामक खर-पतवार का संक्रमण होता है, इसलिए इनकी बालियों को नष्ट कर दें.