
मुजफ्फरपुर की मशहूर शाही लीची का उत्पादन इस बार कम हो सकता है. इसलिए इस बार शाही लीची का स्वाद चखने के लिए आपको अपनी जेब भी ढीली करनी पड़ सकती है. तेज धूप और गर्मी के कारण फल फट जा रहे हैं और फल जल जा रहे हैं. बारिश नहीं होने के कारण शाही लीची के फलों में इस तरह की समस्या सामने आ रही है. जानकारों का कहना है कि अगर एक सप्ताह तक यही स्थिति रही तो इस बार प्रसिद्ध शाही लीची बाजार में कम देखने के लिए मिल सकती है. वहीं ऐसे मौसम के प्रकोप से लीची को बचाने के लिए लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक ने बोरोन का स्प्रे करने की सलाह दी है. साथ ही कहा है कि बाग में पर्याप्त नमी बनाए रखें.
अनुसंधान केंद्र की तरफ से जारी सलाह में कहा गया है कि जब फल लौंग के आकार के हो जाएं तब बोरोन का पहला छिड़काव करना चाहिए. इसके बाद जब फलों में लाल रंग चढ़ना शुरू हो जाता है तो उस समय चार ग्राम बोरोन प्रति लीटर दर से फलों से पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. यह छिड़काव मई के महीने में करना चाहिए. इसे फलों के फटने की समस्या कम हो जाती है. इस समय भीषण गर्मी के कारण आम और लीची के फल पेड़ों पर फट जा रहे और झड़ भी रहे हैं. इससे किसान काफी परेशान हो गए हैं क्योंकि इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ने वाला है. आम, लीची के फलों के फटने की बीमारी को देखते हुए लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक ने बताया कि तेजी से बढ़ते हुए तापमान के कारण इस तरह की समस्या सामने आ रही है. इससे बचाव के लिए बगान में पर्याप्त नमी बनाए रखें.
ये भी पढ़ेंः बैंगन के पत्तों पर थ्रिप्स कीट का अटैक हो जाए तो क्या करें? बचाव का क्या उपाय है?
वहीं किसानों का कहना है कि मौसम की गर्मी की मार का सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है क्योंकि आम और लीची के फल फट जा रहे हैं. इससे उन्हें नुकसान हो रहा है. किसान आम और लीची के फलों को गर्मी के प्रकोप से बचाने के लिए टैंकर से पानी का छिड़काव कर रहे हैं. बारिश भी नहीं हो रही है. किसानों का कहना है कि पानी का छिड़काव करने के बेहतर परिणाम भी आ रहे हैं. फलों में सुधार दिखाई दे रहा है और उन्हें उम्मीद है कि वे अच्छा उत्पादन हासिल कर लेंगे. लीची किसान बनवारी सिंह ने बताया कि लीची उनकी प्रमुख नकदी फसल है. पर तेज धूप और बारिश नहीं होने के कारण अधिकांश लीची के फल खराब हो गए हैं. शाही लीची प्रभावित हो चुकी है. अगर एक सप्ताह तक बारिश नहीं होती है तो फिर चाइना लीची पर भी इसका प्रभाव दिखाई देने लगेगा. इसलिए किसान परेशान हैं.
ये भी पढ़ेंः मल्चिंग पेपर लगाने का सही तरीका क्या है? खेत में सही ढंग से कैसे करें इसका इस्तेमाल?
लीची अनुसंधान केंद्र के फ्रूट साइंटिस्ट डॉक्टर सुनील कुमार ने बताया कि लीची के फल फटने की समस्या मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी से भी होती है. मिट्टी में बोरोन की कमी से फल फटने लगते हैं. इसके अलावा नमी में भी कमी होने पर इस तरह का असर देखने के लिए मिलता है. तेज धूप के कारण अधिक गर्मी होती है और इससे फल फट जाते हैं. इसका उपाय यह है कि फल लगने के 15-20 दिनों के बाद बोरोन और बोरोक्स का 0.4 प्रतिशत प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. इससे अच्छे परिणाम सामने आते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today