बीज, मशीन और ब्रांडिंग से बदलेगा मखाना सेक्टरदेश ही नहीं, बल्कि विश्व के कई देशों के घरों तक सुपर फूड के तौर पर अपनी पहचान बिहार का मखाना बना चुका है. इसकी बदौलत आज बिहार मखाना उत्पादन के क्षेत्र में देश का सिरमौर बना हुआ है. वहीं, सोमवार को कृषि विभाग की ओर से कृषि भवन में बिहार में मखाना से संबंधित सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला को सशक्त, संगठित और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से “राष्ट्रीय मखाना समृद्धि मंथन” का आयोजन किया गया. विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार द्वारा बीज उत्पादन में व्यापक वृद्धि और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई. साथ ही उन्होंने मखाना उत्पादन को क्लस्टर आधारित विकसित करने पर भी सुझाव दिए.
कृषि विभाग के प्रधान सचिव ने कहा कि बिहार में मखाना उत्पादन के साथ-साथ मूल्य संवर्धन की सभी कड़ियों को सशक्त किया जाए. मखाना का प्रसंस्करण, आकर्षक पैकेजिंग, सशक्त ब्रांडिंग और प्रभावी विपणन के माध्यम से किसानों और उद्यमियों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि की जा सकती है. उन्होंने मखाना क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के लिए लेबर कार्ड की व्यवस्था जल्द करने की बात भी कही, ताकि खेतों और प्रसंस्करण इकाइयों में काम करने वाले मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा और सरकारी सहायता से आच्छादित किया जा सके.
राष्ट्रीय मखाना समृद्धि मंथन कार्यक्रम के दौरान विशेष रूप से मखाना के बीज और इसकी खेती से लेकर प्रेसिंग से जुड़ी यंत्रों की उपलब्धता पर जोर दिया गया. इसमें बीज उत्पादन में व्यापक वृद्धि और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई गई. इसके साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध हों, जिनकी ट्रेसबिलिटी का डेटा संधारण किया जाए. साथ ही मखाना उत्पादन को क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण से विकसित करने पर भी सुझाव दिया गया. मखाना पॉपिंग के लिए छोटे और उपयुक्त यंत्र किसानों और प्रसंस्करण इकाइयों को उपलब्ध कराने की बात कही गई.
राष्ट्रीय मखाना बोर्ड के दिशा-निर्देशों और बिहार की प्रस्तावित वार्षिक कार्य योजना के तहत साझा समझ विकसित करने और प्रभावी समन्वय स्थापित करने पर सहमति बनी. बैठक में उत्पादन, अनुसंधान, क्षेत्र विस्तार, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, विपणन, निर्यात और यांत्रिकरण जैसे क्षेत्रों में भूमिकाओं और उत्तरदायित्वों को स्पष्ट करने की आवश्यकता रेखांकित की गई.
साथ ही पीएमकेएसवाई, एनएचबी, एनएनएम, मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजना, मखाना विकास योजना, जीविका और एआईएफ जैसी योजनाओं के साथ समन्वय पर चर्चा हुई. इसके साथ ही प्रसंस्करण इकाइयों, एफपीओ, सहकारी संस्थाओं, स्टार्टअप्स और निर्यातकों से प्राप्त सुझावों को क्रियान्वयन योजना में शामिल करने का निर्णय लिया गया.
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