बिहार के मुजफ्फरपुर में लीची तुड़ाई का काम बड़े पैमाने पर शुरू हो चुका है. लीची की छंटाई और पैकिंग का काम यहां की महिलाएं बड़ी संख्या में कर रही हैं. इससे मुजफ्फरपुर और आसपास की हजारों महिलाओं को रोजगार मिला है.
महिलाओं को लीची की तुड़ाई और पैकिंग से घर के पास ही रोजगार मिल गया है. इससे महिलाओं में बेहद खुशी है. ये महिलाएं घर में अपना काम निपटा कर सुबह आठ बजे निकलती हैं और लीची के बाग में आ जाती हैं. फिर शाम पांच बजे अपने घर चली जाती हैं.
इस काम के एवज में महिलाओं को पैसा तो मिल ही रहा है. उसके साथ दोपहर का खाना-पीना भी मिलता है. इससे महिलाओं को अच्छा रोजगार मिला है. यह काम लीची के पूरे सीजन में चलेगा. अगले तीन-चार महीने तक यही स्थिति रहेगी.
लीची की तुड़ाई करने वाली 75 वर्षीय बुधिया काकी ने बताया कि वे बहुत खुश हैं. उनके पूरे परिवार को रोजगार मिल गया है और बढ़िया खाना भी मिल रहा है. उनकी उम्र अधिक है, इसके बाद भी लीची से जुड़े काम आसानी से निपटा लेती हैं.
वहीं लीची तोड़ने के काम में लगीं उषा देवी ने बताया कि काफी अच्छी आमदनी हो रही है. घर से अपना काम पूरा करने के बाद वे आती हैं और फिर पांच बजे चली जाती हैं. इससे लीची का काम तो होता ही है, घर का खर्च भी आराम से चल रहा है.
वहीं मीनू ने बताया कि बाल बच्चों और घर का काम करके लीची के बाग में आती हैं. उन्हें तुड़ाई और पैकिंग का अच्छआ पैसा मिल रहा है और घर से ज्यादा दूर जाना भी नहीं पड़ता. वही उतर प्रदेश से आए व्यापारी सालेकर ने बताया कि महिलाएं बेहतर तरीके से पैकिंग और तुड़ाई का काम कर लेती हैं.
ये महिलाएं एक दिन में लीची के कई पेड़ से तुड़ाई कर लेती हैं. व्यापारियों को तुड़ाई और पैकिंग का टेंशन नहीं रहता. स्थानीय लीची किसान बनवारी सिंह ने कहा कि लीची के सीजन में महिलाओं की अच्छी आमदनी हो है. तुड़ाई और पैकिंग का काम और डेढ़ से दो महीने तक चलेगा.
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