भैंस और कुत्ते का प्रतीकात्मक फोटो.Rabies Infection भुज, गुजरात, गोरखपुर, यूपी के बाद अब एक और खबर मिदनापुर, पश्चि म बंगाल से आई है. खबर ये है कि जिस गाय का दूध लोगों ने इस्तेमाल किया उस गाय को कुत्ते ने काटा था, जिसके बाद गाय को रेबीज हो गया था. अब जब ये बात लोगों को पता चली तो उनमे हड़कंप मच गया. लोग ऐहतियात के तौर पर एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए दौड़ रहे हैं. हालांकि उन लोगों के बीच में एक खबर ये भी फैल रही है कि रेबीज पीडि़त गाय का दूध पीने से कुछ नहीं होता है.
लेकिन ये पूरी तरह से गलत है. खुद एनिमल डॉक्टर और एक्सपर्ट इससे इंकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि किसी भी हाल में ऐसे एनिमल प्रोडक्ट का इस्तेमाल न करें जो रेबीज पीडि़त हो. लेकिन ऐहतियात बरतने के लिए दूध को उबालकर और मीट को तेज आंच पर पकाकर ही इस्तेमाल करना चाहिए. गौरतलब करीब एक महीने पहले ही गुजरात और यूपी में इस तरह की घटना के बाद बंगाल में घटी ये तीसरी घटना है.
डॉ. अधिराज मिश्रा, असिस्टेंट कमिश्नर, एनिमल हसबेंडरी का कहना है कि रेबीज होने की पहचान का सबसे बड़ा लक्षण ये है कि जिस पशु को काटा गया है स्लाइवा (लार) बहुत गिराता है. साथ ही वो हर चीज को काटने की कोशिश करता है. फिर चाहें वो चीज जीवित हो या निर्जीव. इसलिए जब इस बात की आशंका हो कि जिस पशु का दूध हम खरीद रहे हैं उसे किसी कुत्ते ने काटा और उसमे कुछ लक्षण भी दिखाई दे रहे हों तो उसके दूध का इस्तेमाल न करें. मीट भी न पकाएं. हालांकि दूध को खूब उबालकर पिया जाता है. मीट को तेज आंच पर पकाया जाता है. फिर भी इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि उस संक्रमित पशु के प्रोडक्ट इस्तेमाल करने से रेबीज नहीं होगा. हालांकि प्रोडक्ट को आग पर रखने के बाद वैक्टीरिया खत्म हो जाने की बात कही जाती है, लेकिन 100 फीसद वैक्टीरिया खत्म हो जाएंगे ऐसा भी दावा नहीं किया जा सकता है.
डॉ. अधिराज मिश्रा बताते हैं कि कुत्ते और बंदर के काटने के कुछ दिन बाद ही लक्षण दिखाई दे जाएंगे इसकी को गारंटी नहीं है. इनके काटने के बाद 10-15 दिन बाद ही मौत हो जाएगी ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि रेबीज के लक्षण छह महीने से लेकर डेढ़ साल तक में सामने आते हैं. और ऐसे वक्त में करने के लिए बहुत ज्यादा कुछ रह नहीं जाता है. इसलिए जब भी इस बात का पता चल जाए तो सबसे पहले हमे एंटी रेबीज की डोज ले लेनी चाहिए.
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