खेती और पशुपालन में किसान उत्पादक संगठन (FPO) का रोल बहुत अहम हो गया है. केन्द्र और राज्य सरकारें भी एफपीओ की खूब मदद कर रही हैं. पशुपालन की बात करें तो डेयरी और पशुपालन के साथ-साथ चारे के क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में एफपीओ काम कर रहे हैं. कई पशुपालन से जुड़ी यूनिवर्सिटी भी एफपीओ को तकनीकी मदद देती हैं. गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना भी ऐसे ही एक एफपीओ को तकनीकी मदद दे रही है. डेयरी क्षेत्र का ये एफपीओ मुश्काबाद एफएएम डेयरी प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के नाम से चल रहा है.
हाल ही में यूनिवर्सिटी में एफपीओ से जुड़े एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जहां एक सफल एफपीओ चलाने के कई खास बिन्दुओं पर चर्चा की गई. इस कार्यक्रम को "एफपीओ-आधारित वैज्ञानिक डेयरी फार्मिंग" नाम दिया गया है. तीन दिन तक कार्यक्रम के दौरान डेयरी से जुड़े एफपीओ पर चर्चा की गई.
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गडवासु के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्र्जीत कुमार सिंह का कहना है कि मुश्काबाद एफएएम डेयरी प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के नाम से डेयरी का एफपीओ अच्छा काम कर रहा है. हमारी यूनिवर्सिटी इस एफपीओ को तकनीकी मदद देती है. ये एफपीओ ब्लॉक समराला में चालू है और भारतीय कंपनी अधिनियम के तहत रजिस्टमर्ड है. इस एफपीओ में 100 से ज्यादा सदस्य हैं. एफपीओ भारत सरकार की मुख्य परियोजनाओं में से एक है. एफपीओ किसानों को समूहों में संगठित होने में मदद करते हैं.
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अगर पशुपालक एफपीओ बनाते हैं तो वो इसके माध्यिम से अच्छीं कमाई कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि एक एफपीओ शुरू करते वक्तय कुछ खास बातों का ख्यासल रखा जाए. जैसे वैज्ञानिक तरीके से डेयरी फार्मिंग की जाए. नस्ल विशेषता पर जोर दें, पशु की पहचान, पशु का रिकॉर्ड रखना, चारा संरक्षण, संतुलित आहार, आवास प्रबंधन, बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण, प्रजनन मैनेजमेंट और डेयरी वेस्टक मैनेजमेंट पर खास ध्यान देना होगा.
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