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पशु-पक्षियों के लिए पटाखे की आवाज बेहद खतरनाक! कानपुर के पशुपालन वैज्ञानिक ने जारी की एडवाइजरी

पशु-पक्षियों के लिए पटाखे की आवाज बेहद खतरनाक! कानपुर के पशुपालन वैज्ञानिक ने जारी की एडवाइजरी

Diwali 2024: पशुपालन वैज्ञानिक ने सलाह दी है कि ऐसे पटाखे का प्रयोग करना चाहिए एवं पटाखे ऐसे स्थान पर चलना चाहिए, जहां पालतू जानवर न हो. साथ ही पटाखे चलाते समय अपने पास कम से कम एक बाल्टी पानी अवश्य रखें. जिससे कोई घटना घटित होने से पूर्व उसको नियंत्रित किया जा सके.

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पटाखे चलाएं, लेकिन बेजुबानों का भी रखें ध्यान (Photo Credit-Kisan Tak) पटाखे चलाएं, लेकिन बेजुबानों का भी रखें ध्यान (Photo Credit-Kisan Tak)

देशभर में आज दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है. यह पर्व खुशियों और रोशनी का प्रतीक होता है. दिवाली पर लोग अपने घरों को दीया और लाइट्स से डेकोरेट करते हैं. जबकि कई लोग इस त्योहार को पटाखे चलाकर एंजॉय करते हैं. इसी बीच चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉक्टर शशिकांत ने आतिशबाजी से पशु, पक्षियों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर एडवाइजरी जारी की है.

गर्भित पशुओं का गर्भपात होने की प्रबल संभावना

उन्होंने बताया कि दीपावली पर जिन पटाखों का प्रयोग होता है. उसमें से सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, मोनो डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसे निकलती है. जिससे पशु पक्षियों को इन गैसों से स्वांस रोग हो जाता है. पशुपालन वैज्ञानिक डाॅ शशिकांत ने बताया कि इन पटाखों की तीव्रता लगभग 140 से 150 डेसीमल होती है, जो सामान्य जनों के कानों में असहनी होता है. जिसकी वजह से विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं. साथ ही गर्भित पशुओं का गर्भपात होने की प्रबल संभावना होती है.

डरे सहमें रहते हैं पालतू कुत्ते

उन्होंने कहा कि दुधारू पशुओं का दूध कम हो जाता है पशु उग्र हो जाते हैं. पालतू कुत्ते डरे सहमें से रहते हैं तथा एकांत स्थान की तलाश में रहते हैं. इन पटाखों का सबसे ज्यादा नुकसान परिंदों को होता है. वे अपने घोंसले में ही इन आवाजों को सुनकर दम तोड़ देते हैं, जबकि पटाखे की आवाज 90 डेसिमल से भी कम होनी चाहिए. जो पशु पक्षियों के लिए क्षति न पहुंच जाए. पशुपालन वैज्ञानिक ने सलाह दी है कि ऐसे पटाखे का प्रयोग करना चाहिए एवं पटाखे ऐसे स्थान पर चलना चाहिए, जहां पालतू जानवर न हो. साथ ही पटाखे चलाते समय अपने पास कम से कम एक बाल्टी पानी अवश्य रखें. जिससे कोई घटना घटित होने से पूर्व उसको नियंत्रित किया जा सके.

लखनऊ में AQI का स्तर 300 पार

बता दें कि दिवाली से ठीक पहले ही यूपी के कई जिलों में खुले हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो गया. आंकड़ों के अनुसार बुधवार को यूपी के राजधानी लखनऊ के इंड्रस्ट्रीयल एरिया में AQI का स्तर 300 के पार हो गया. दिवाली के दौरान वायु गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है, खासकर NCR के आसपास के क्षेत्रों में, जहां पटाखों का प्रभाव AQI पर पड़ता है.