गोपालन धीरे-धीरे बिजनेस का रूप ले रहा है. अब किसान के अलावा पढ़े-लिखे युवा भी गोपालन में दिलचस्पी ले रहे हैं. देश में आपको सैकड़ों पढ़े-लिखे युवा मिल जाएंगे, जो अच्छी-खासी नौकरी छोड़ कर गोपालन कर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है. लेकिन कुछ युवाओं को गोपालन में नुकसान भी उठाना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें ज्यादा दूध देने वाली गाय की नस्ल की जानकारी नहीं है. पर ऐसे युवाओं को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम गाय की देसी नस्ल 'रेड सिंधी' के बारे में चर्चा करेंगे, जिसका पालन करने पर किसानों की बंपर कमाई होगी.
ऐसे रेड सिंधी गाय को लाल सिंधी गाय के नाम से भी जाना जाता है. यह गाय की एक देसी नस्ल है, जो अधिक दूध देने के लिए जानी जाती है. इस नस्ल की गाय एक ब्यान्त में औसतन 1840 लीटर तक दूध देती है. हालांकि, इस गाय का मूल स्थान बलूचिस्तान के बेला राज्य है. हालांकि, अब पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल सहित कई राज्यों में किसान इसका पालन कर रहे हैं. इससे किसानों की अच्छी कमाई हो रही है.
ये भी पढ़ें- गन्ने की बेहतर पैदावार के लिए बरसात में अपनाएं ये टिप्स, कृषि वैज्ञानिकों ने दिया सुझाव
लाल सिंधी गाय का शरीर गहरा हल्के लाल रंग का होता है. इसकी ऊंचाई लगभग 120 सेमी और लंबाई 140 सेमी होती है. जबकि वजन 320 से 340 किलोग्राम तक होता है. ऐसे अधिकांश किसान रेड सिंधी गाय का पालन दूध के लिए करते हैं. इसके दूध में प्रोटीन प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. ऐसे रेड सिंधी गाय की प्रति ब्यान्त दूध देने की मिनिमम क्षमता 1100 लीटर और अधिकतम 2600 लीटर होता है. इसके दूध में वसा की 4.5 प्रतिशत पाया जाता है. यह रोज 12 से 20 लीटर के बीच दूध दे सकती है. अगर कीमत की बात करें तो रेड सिंधी गाय की कीमत 80 हजार रुपये तक होती है. हालांकि, इसकी कीमत दूध देने की क्षमता पर निर्भर करती है. कहा जाता है कि यह भारतीय नस्ल की गायों में अधिक दूध देने वाली गाय है.
अगर आप रेड सिंडी नस्ल की गाय का पालन शुरू करना चाहते हैं, उसके आहार के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए. इस नसल की गायों को जरूरत के अनुसार ही खुराक देना चाहिए. अगर आप जरूरत से ज्यादा चारा या दाना दे देते हैं, तो पाचन शक्ति खराब हो सकती है. फलीदार चारे को खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें. इससे पाचन क्रिया सही रहती है. अगर आप चाहें, तो बाजरा, जई, चोकर, मक्की, जौं, ज्वार, गेहूं, चावलों की पॉलिश, मक्की का छिलका आदि भी आहार के रूप में दे सकते हैं. इससे दूध का उत्पादन बढ़ जाता है.
ये भी पढ़ें- भरी महंगाई में आपको लाखों कमवा सकता है प्याज, बस 4 लाख रुपये में शुरू करें ये एग्री बिजनेस
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today