सीजन के बाद फरवरी से अंडों के दाम गिरना शुरू हो जाते हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मियों में तो अंडे की लागत निकालना तक मुश्कि ल हो जाता है. इस दौरान सबसे ज्यादा नुकसान छोटे पोल्ट्री फार्मर को उठाना पड़ता है. पोल्ट्री फार्मर को दो बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. एक तो अंडों को बिना कोल्ड स्टोरेज जमा करके नहीं रख सकता है. दूसरा ये कि अंडा बिके या नहीं बिके, लेकिन अंडा देने वाली मुर्गियों के लिए बाजार से पोल्ट्री फीड लेकर आना ही आना है.
लेकिन पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मियों में भी अंडे से मुनाफा कमाया जा सकता है. अंडे के अच्छे दाम मिल सकते हैं, लेकिन इसके लिए सरकार को तीन खास काम करने होंगे. अगर सरकार ये काम करती है तो पोल्ट्री सेक्टर को गर्मियों में होने वाले घाटे से भी बचाया जा सकता है. साथ ही छोटे पोल्ट्री फार्मर को अपने फार्म भी बंद नहीं करने पड़ेंगे.
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यूपी पोल्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब अली का कहना है कि कोई सोमवार को अंडा नहीं खाता तो कोई मंगलवार को. नवरात्र, श्राद्ध और सावन में तो लगातार कई दिनों तक अंडा नहीं खाया जाता है. ऐसे कई मौके आते हैं जब अंडे की बिक्री कम हो जाती है. लेकिन मुर्गी को तो उस तरह से सेट नहीं कर सकते कि जब चाहें उससे अंडा लें और जब चाहें न लें. मुर्गी तो रोजाना ही अंडा देगी.
ऐसे में जब बाजार में अंडे का उठान सही नहीं होता है तो अंडे के दाम गिर जाते हैं. जिसका खामियाजा पोल्ट्री फार्मर को उठाना पड़ता है. ऐसे में अगर सरकार पोल्ट्री फार्मर को कोल्ड रूम बनाने पर 75 फीसद की सब्सिडी दे तो मुर्गी पालक को इससे राहत मिल सकती है. यह डिमांड हम पिछले कई साल से करते चले आ रहे हैं. साथ ही पोल्ट्री को एग्रीकल्चर में मानते हुए उसी रेट पर बिजली दे.
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नवाब अली का ये भी कहना है कि देशभर में रोजाना करीब 12 करोड़ बच्चे स्कूल में मिड-डे-मील (एमडीएम) खाते हैं. अगर सरकार हफ्ते में दो दिन ही एमडीएम में अंडा खाने को दे तो 24 करोड़ अंडों की खपत का एक नया रास्ता खुल जाएगा. इससे होगा यह कि सरकार जब एमडीएम के लिए अंडे के रेट लागत और मुनाफे के साथ तय करेगी तो उसका असर बाजार पर भी पड़ेगा. पोल्ट्री फार्मर को बाजार में भी अंडे के अच्छे रेट मिलने लगेंगे. बड़ी संख्या में अंडा एमडीएम में सप्लाई होने लगेगा तो बाजार में भी कंप्टीशन बढ़ जाएगा.
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