Goat Farming: फरवरी-मार्च में बच्चे देंगी बकरियां, जन्म से पहले और बाद में ऐसे करें देखभाल 

Goat Farming: फरवरी-मार्च में बच्चे देंगी बकरियां, जन्म से पहले और बाद में ऐसे करें देखभाल 

पशुपालन में री-प्रोडक्शन (प्रजनन) बहुत मायने रखता है. लेकिन कुछ कमियों के चलते बच्चों की मृत्यु दर बढ़ने लगती है. जिसका नुकसान पशुपालकों को उठाना पड़ता है. लेकिन कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर मृत्यु दर को कम किया जा सकता है. यही वजह है कि वितरीत मौसम से बच्चों को बचाने के लिए पशुपालक तय वक्त के मुताबिक बकरी को गर्भवती करा कर अच्छे मौसम में बच्चे ले रहे हैं. 

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Goat Farming: फरवरी-मार्च में बच्चे देंगी बकरियां, जन्म से पहले और बाद में ऐसे करें देखभाल दूध और मीट के लिए बकरी के बच्चों की देखभाल जरूरी है.

आने वाले दो महीने फरवरी-मार्च बकरी पालकों के लिए बहुत अहम हैं. खासतौर पर उनके लिए जिनकी बकरी बच्चे देने वाली है. क्योंकि बच्चे के जन्म से पहले और जन्म के बाद कुछ दिनों तक उसकी खास तरीके से की जाने वाली देखभाल बहुत अहम हो जाती है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो अगर बकरी के बच्चों की एक महीने तक अच्छे तरीके से देखभाल कर ली जाए तो फिर वो बिना किसी परेशानी के आराम से बड़े हो जाते हैं. और जैसे ही बच्चा चार-पांच महीने का होता है तो उसक कीमत नस्ल के हिसाब से छह-सात हजार रुपये तक हो जाती है. 

और सही मायनों में बकरी के बच्चे ही पशुपालक की असल कमाई होते हैं. इसलिए अगर बकरी दो बच्चे दे रही है तो कोशि‍श करें कि दोनों ही बच्चे जीवित रहें. एक्सपर्ट का तो ये भी कहना है कि अगर साइंटीफिक तरीके से बकरी पालन किया जाए तो बच्चों की मृत्यु दर को काफी हद तक कम करने के साथ ही खत्म भी किया जा सकता है. 

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जन्म के फौरन बाद ऐसे करें बच्चों की देखभाल

गोट एक्सपर्ट फहीम खान का कहना है कि बकरी के बच्चों की मृत्यु् दर कम करने के लिए ये जरूरी है कि हम उसकी देखभाल के साथ ही उसके खानपान का भी ध्यान रखें. उम्र के साथ बच्चों का वैक्सीनेशन कराएं. फरवरी-मार्च में वो बकरी बच्चा देती हैं जो अक्टूबर से नवंबर के बीच गाभिन कराई जाती हैं. इस हिसाब से वो अब मार्च-अप्रैल में बच्चा दे देगी. मार्च-अप्रैल में बच्चा मिलने से वो सर्दी से बच जाएगा. साथ ही मई-जून की गर्मियों और आने वाले बारिश के महीने तक बीमारियों से लड़ने लायक तैयार हो जाएगा.

  • बच्चे के पैदा होते ही उसे मां का दूध पिलाएं.
  • बच्चे के वजन के हिसाब से ही उसे दूध पिलाएं. 
  • वजन एक किलो हो तो 100-125 ग्राम दूध पिलाएं. 
  • बच्चे को दिनभर में तीन से चार बार में दूध पिलाएं. 
  • दूध पिलाने के लिए बकरी की जैर गिरने का इंतजार ना करें.
  • बच्चा 18 से 20 दिन का हो तो चारे की कोपल खि‍लाएं. 
  • बच्चा एक महीने का हो जाए तो पिसा हुआ दाना खि‍लाएं. 
  • जमीन पर बिछावन के लिए पुआल का इस्तेमाल करें.
  • तीन महीने का होने पर बच्चे का टीकाकरण शुरू करा दें.
  • डॉक्टर की सलाह पर पेट के कीड़ों की दवाई दें.
  • जन्म से एक-डेढ़ महीने पहले बकरी की खुराक बढ़ा दें. 
  • बकरी को भरपूर मात्रा में हरा, सूखा चारा और दाना खाने को दें.

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