दूध का दाम बढ़ाने को लेकर महाराष्ट्र के किसान आज फिर सड़क पर उतर रहे हैं. उनका कहना है कि उपभोक्ताओं को 66 रुपये लीटर दूध मिल रहा है, जबकि डेयरी कंपनियां पशुपालकों को 35 रुपये लीटर का भी भुगतान नहीं कर रही हैं, जबकि चारा और पशु आहार का दाम दो साल में ही दोगुना हो गया है. किसानों के मेहनत की असली मलाई डेयरी कंपनियों का मालिक खा रहे हैं. इसलिए आज अहमदनगर के राहुरी कस्बे से इस आंदोलन की शुरुआत होगी. स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के बैनर तले डेयरी किसान (Dairy Farmers) रास्ता रोकेंगे और सड़कों पर दूध बहाकर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे. ताकि किसानों को दूध का दाम (Milk Price) अच्छा मिल सके.
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने कहा कि अगर किसानों को दूध का दाम न्यूनतम 34 रुपये नहीं मिला तो फिर मुंबई में दूध की आपूर्ति रोक दी जाएगी. इससे जो दिक्कतें पैदा होंगी उसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होगी. उन्होंने कहा कि डेयरी कंपनियां कस्टमर और किसान दोनों का शोषण कर रही हैं, इसलिए किसान सड़क पर उतरने के लिए मजबूर हैं. किसान कब तक हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे.
राज्य के डेयरी विकास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने पिछले दिनों डेयरी कंपनियों की बैठक लेकर कहा था कि वो किसानों को कम से कम 34-35 रुपये प्रति लीटर का भाव दें. किसानों का आरोप है कि अभी इसका पालन नहीं हो रहा है.
अहमदनगर के किसान नंदू रोकड़े कहते हैं कि अगर पशुपालकों की मेहनत जोड़ी जाए तो दूध की उत्पादन लागत 38 रुपये प्रति लीटर आती है. इसलिए इतना दाम तो मिलना ही चाहिए. किसान अपनी मेहनत को नहीं जोड़ता ऐसे में हम 34 रुपये न्यूनतम मूल्य पर भी राजी थे, लेकिन डेयरी वाले इतना रेट भी देने को तैयार नहीं हैं.
रोकड़े का कहना है कि मंत्री ने दाम बढ़ाने के मौखिक आदेश दिए थे. कोई कानून नहीं बनाया था. ऐसे में कोई इसका पालन कैसे करेगा. वो भी तब जब महाराष्ट्र का डेयरी कारोबार बड़े नेताओं के हाथ में है.
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डेयरी किसान नंदू रोकड़े का कहना है कि तेलंगाना, कर्नाटक और राजस्थान सरकार सहकारी दुग्ध संस्थाओं को दूध बेचने पर 5 रुपये लीटर अनुदान देती हैं. यही व्यवस्था महाराष्ट्र सरकार कर दे तो किसानों के घाटे की भरपाई हो जाएगी. या फिर किसानों से खरीदे जाने वाले दूध का न्यूनतम दाम कानूनी तौर पर फिक्स कर दे.
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, फिर भी यहां के डेयरी किसान कई साल से अपने लिए दूध का सही दाम मिलने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. हर साल दूध सड़कों पर बहाकर दाम बढ़ाने के लिए किसान सड़क पर उतर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अब तक डेयरी किसानों के हितों को साधने के लिए दूध का न्यूनतम दाम तय नहि किया. राज्य में जुलाई 18, 2020 और जून 21 में इस मुद्दे पर बड़े आंदोलन हो चुके हैं.
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