पोल्ट्री प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए अंडे-चिकन को बर्ड फ्लू फ्री करने की कोशिश चल रही है. केन्द्र सरकार चाहती है कि अंडे-चिकन का बर्ड फ्लू ही नहीं और भी दूसरी बीमारियों से रहित प्रोडक्शन हो. इसके लिए डिजीज फ्री कंटेनमेंट जोन बनाने की भी तैयारी चल रही है. इसके चलते खासतौर से कोरोना के बाद लोकल मार्केट में भी डिजीज फ्री अंडे-चिकन की डिमांड होने लगी है. यही वजह है कि अब छोटा हो या बड़ा सभी पोल्ट्री फार्मर को ये बताया जा रहा है कि डिजीज फ्री अंडे-चिकन का प्रोडक्शन कैसे किया जा सकता है.
इसकी मदद से कैसे इनकम बढ़ाई जा सकती है. इस बारे में गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि आज क्लाइमेट चेंज के चलते बहुत बदलाव आ चुका है. इसे देखते हुए हम अगर अपने पशु-पक्षी और उनसे मिलने वाले प्रोडक्ट को डिजीज फ्री रखना चाहते हैं तो हमे बॉयो सिक्योरिटी का पालन करना होगा.
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एनीमल हसबेंडरी कमिश्नर अभीजीत मित्रा का कहना है कि कोविड, स्वाइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत और भी न जानें ऐसी कितनी महामारी हैं जो पहले पशु-पक्षियों हुई और उसके बाद इंसानों में आई हैं. एक रिपोर्ट की मानें तो 1.7 मिलियन वायरस जंगल में फैले होते हैं. इसमे से बहुत सारे ऐसे हैं जो जूनोटिक हैं. जूनोटिक वो होते हैं जो पशु-पक्षियों से इंसान में फैलते हैं. लेकिन अब वर्ल्ड लेवल पर इस पर काबू पाने की कवायद शुरू हो गई है. भारत में भी नेशनल वन हैल्थ मिशन (एनओएचएम) के नाम से एक अभियान शुरू किया गया है.
डॉ. इन्द्रजीत सिंह ने किसान तक को बताया कि कैसे बॉयो सिक्योरिटी प्लान का पालन करके डिजीज फ्री प्रोडक्शन किया जा सकता है. ऐसा नहीं है कि बॉयो सिक्योरिटी का पालन करने से अंडा-चिकन ही डिजीज फ्री होंगे, बल्कि डेयरी में भी इसका पालन कर प्रोडक्ट को डिजीज फ्री बनाया जा सकता है.
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