Lumpy Disease: पशुओं में इस आसान विधि से करें लंपी बीमारी का इलाज, दवा का खर्च बचेगा 

Lumpy Disease: पशुओं में इस आसान विधि से करें लंपी बीमारी का इलाज, दवा का खर्च बचेगा 

लंपी स्किन डिजीज, वह बीमारी जो आजकर पशुओं में काफी तेजी से फैल रही है. यह एक संक्रामक रोग है जो ज्‍यादातर गाय और भैंसों में होता है. एक कीड़े के काटने की वजह से होने वाली यह बीमारी जानवरों की जान तक ले सकती है. ऐसे में यह काफी जरूरी हो जाता है कि पशुपालकों को यह पता हो कि अगर उनके जानवर को यह रोग लग गया है तो उस समय क्‍या किया जाए.

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Lumpy Disease: पशुओं में इस आसान विधि से करें लंपी बीमारी का इलाज, दवा का खर्च बचेगा जानवरों में होने वाली यह बीमारी है खतरना

लंपी स्किन डिजीज, वह बीमारी जो आजकर पशुओं में काफी तेजी से फैल रही है. यह एक संक्रामक रोग है जो ज्‍यादातर गाय और भैंसों में होता है. एक कीड़े के काटने की वजह से होने वाली यह बीमारी जानवरों की जान तक ले सकती है. ऐसे में यह काफी जरूरी हो जाता है कि पशुपालकों को यह पता हो कि अगर उनके जानवर को यह रोग लग गया है तो उस समय क्‍या किया जाए. उन्‍हें अपने पशुओं को अच्‍छे से ध्‍यान रखने की और उनकी सही देखभाल करने की जरूरत है. 

क्‍या हैं इसके लक्षण 

अगर आपको अपने जानवरों में नीचे बताए गए लक्षण नजर आएं तो समझ जाएं कि उन्‍हें लंपी रोग हो रहा है. इस रोग से ग्रसित जानवरों को 

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  • बहुत तेज यानी 105 डिग्री तक का बुखार होता है. 
  • उनके नाक, मुंह और आंखों से पानी गिरता रहता है. 
  • आंखों में अल्‍सर की वजह से एक थक्‍का सा बन जाता है जिसकी वजह से देखने की क्षमता प्रभावित होती है. 
  • बीमार जानवरों को अक्‍सर चारा खाने में परेशानी होती है क्‍योंकि उनके मुंह में छाले होते हैं. 
  • जानवर खाना कम खाते हैं और पानी भी कम पीने लगते हैं इसकी वजह से दूध का उत्‍पादन घट जाता है. 
  • गोल और सख्‍त गांठे बन जाती हैं जो करीब 10 से 15 मिलीमीटर तक की होती हैं जिन पर पपड़ी जम जाती है. 
  • इस बीमारी का वायरस करीब एक महीने तक रहता है और फिर झड़ने लगता है. 
  • इंफेक्‍शन होने के बाद जानवर के खून में यह वायरस करीब एक से दो हफ्ते तक रहता है और फिर यह फैलने लगता है. 
  • पैर और गले के नीचे की त्‍वचा समेत बाकी स्किन पर भी सूजन आ जाती है. 
  • इस वायरस की वजह से जानवरों की प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है. 
  • अगर इससे संक्रमित जानवर बच्‍चा जनने वाला है तो उसका एबॉर्शन तक हो सकता है. 
  • अगर बच्‍चा पैदा भी होता है तो वह काफी कमजोर होता है. 

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बीमारी का क्‍या है इलाज 

इस बीमारी से संक्रमित पशु को 10  मिली नीमबोली तेल, 10 मिली यूकेलिप्‍टस ऑयल, दो ग्राम सोप पाउडर को एक लीटर पानी में मिला लें. इसके बाद जानवर को इस पानी से नहलाएं. अगर आप चाहें तो 5 फीसदी नीमबोली का रास भी प्रयोग कर सकते हैं. यह बीमारी एक कीड़े से फैलती है तो ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि उनकी रोकथाम के उपाय किए जाएं. मादा जानवर का खून पीने के बाद जब पिस्‍सू जमीन पर गिरता है तो अंधेरी जगहों पर अपने अंडे देता है. इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि जिस जगह पर जानवरों को रखा गया है, उसे साफ रखा जाए.

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