राजस्थान के जैसलमेर में बीते चार दिनों से अज्ञात बीमारी के चलते ऊंटों की मौत हो रही थी. ये मामले सामने आने के बाद प्रशासन एक्टिव मोड में आ गया था. जिसके तहत मंगलवार को प्रशासन ने जोधपुर सैंपल्स भेजे थे. इसकी रिपोर्ट में सर्रा बीमारी के चलते ऊंटों की मौत होने के मामले सामने आए हैं. इस बीमारी से जैसलमेर के सांकड़ा क्षेत्र में अब तक आठ ऊंटों की मौत हो चुकी है. वहीं सर्रा की पुष्टि होने के बाद पशुपालन विभाग ने गांवों में पहुंच कर ऊंटों में फैली इस बीमारी की रोकथाम शुरू कर दी है.
बीमारी से सांकड़ा, गुड्डी और मोडरडी क्षेत्र के पशुपालकों में भय का माहौल है. क्योंकि मारे गए ऊंटों में से छह ऊंटनी थीं और गर्भवती थीं. मारे गए ऊंटों में दो तीन-तीन साल के ऊंट भी शामिल हैं.
ऊंटों में फैली सर्रा बीमारी से एक तरफ जहां पशुओं की मौत हो रही है. वहीं, दूसरी ओर पूरे जैसलमेर जिले में पशुपालन विभाग के पास बीमारी से बचाव के लिए ना तो दवाइयां हैं और ना ही कोई टीका है. ऐसे में ऊंटों का इलाज शुरू नहीं हो पा रहा है. इसीलिए फिलहाल पशुपालन विभाग और ऊंट पालकों ने अपने स्तर पर ही साफ-सफाई जैसे बचाव के काम शुरू किए हैं. हालांकि ऊंटों को इलाज मिलने में अभी एक-दो दिन और लगेंगे. इसीलिए ऊंट मालिकों की जान सांसत में है. सांकड़ा गांव के ऊंट पालक निम्ब सिंह ने बताया कि बीमारी से चार ऊंटनियों की मौत हुई है. विभाग के पास ना तो दवाइयां हैं और ना ही टीके. हम अपने स्तर पर ही बीमारी से लड़ रहे हैं.
उधर, जैसलमेर पशुपालन विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर अशोक सुथार ने मीडिया से कहा कि सर्रा बीमारी की रोकथाम के लिए टीके और दवाइयों की डिमांड आगे पहुंचा दी है. जैसे ही दवाई और टीके हमें मिलते हैं, ऊंटों का इलाज शुरू कर दिया जाएगा.
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सर्रा बीमारी ऊंटों में काफी आम बीमारी है. यह एक परजीवी ट्रीपेनोसोमा इवासाई के खून में फैलने से होता है. ऊंटों को मक्खियों के काटने से दूसरे ऊंटों में उनका खून ट्रांसफर हो जाता है. इससे बीमारी एक से दूसरे जानवर में फैलती है. बीमारी से ऊंटों में शारीरिक कमजोरी, बुखार और एनीमिया होता है. बीमारी के कारण ऊंट धीरे-धीरे खाना बंद कर देता है. इसमें उनकी आंख और नाक से पानी आता है.
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पेट और फिर बाद में पूरे शरीर पर सूजन आने लगती है और जानवर में खून की कमी हो जाती है. इससे ऊंट के काम करने की शक्ति खत्म हो जाती है. कुछ दिनों में ही ऊंट की मौत हो जाती है और मरते वक्त उसके मुंह और नाक से पानी निकलता है.
सबसे पहले ऊंटों के रहने की जगह की अच्छी साफ-सफाई जरूरी है. इसके अलावा उन्हें मक्खियों से बचाना चाहिए. इसके लिए ऊंटों की जगह पर कीटनाशक का छिड़काव किया जा सकता है. ऊंट पालकों को बीमार ऊंट को बाकी टोले से अलग रखना चाहिए. साथ ही पशु चिकित्सक की सलाह पर जरूरी इलाज कराना चाहिए.
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