राजस्थान का बीकानेर दुनियाभर में ऊंट को लेकर फेमस है. रेगिस्तान के बीचों-बीच बसा यह शहर अपनी कला, संस्कृति, परंपरा और खानपान के साथ-साथ ऊंटों के लिए जाना जाता है. वही आज भी ऊंट को राजस्थान में शाही सवारी के रूप में जाना जाता है. इसीलिए जब भी राजस्थान को किसी फोटो में दिखाया जाता है तो उसमें चलते हुए ऊंट को जरूर दिखाया जाता है.
वही लगभग तीन दशक से बीकानेर में ऊंटों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय ऊंट महोत्सव आयोजित किया जाता रहा है जो हर साल जनवरी के महीने में राजस्थान के पर्यटन विभाग द्वारा करवाया जाता है और इसमें हर साल देश के अलावा विदेशी पर्यटक भी आते हैं.
राजस्थान के बीकानेर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर जोड़बीड़ क्षेत्र में स्थित ‘राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र’ में तीन दिवसीय ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊंट महोत्सव’ का आयोजन किया गया है. यह महोत्सव 13 जनवरी से शुरू होकर 15 जनवरी तक चलेगा. यह महोत्सव पिछले 29 सालों से यहां आयोजित होता आ रहा है.
‘अंतर्राष्ट्रीय ऊंट महोत्सव’ का दूसरा दिन ऊंटों की प्रतियोगिताओं के नाम रहा. वहां बज रहे ढोल की थाप पर ठुमक-ठुमक नाचते ऊंटों ने लोगों का मन खूब मोहा. इस दौरान ऊंटों ने तरह-तरह के हैरत अंगेज करतब भी दिखाए. वही ऊंटों की प्रतियोगिताओं को देखने के लिए शनिवार को हजारों की संख्या में लोग पहुंचे. जिसमें देश के अलावा विदेशी पर्यटक भी शामिल थे.
इसके अलावा महोत्सव में ऊंट की कमर पर कैची के माध्यम से की गई आकर्षक फर कटिंग भी विशेष रही. दरअसल, ऊंट पालकों द्वारा ऊंट की कमर पर लोक देवी-देवताओं, परंपराओं और यहां की कला पर आधारित चित्र बनाए गए थे, जिन्हें देखकर वहां उपस्थित सभी दर्शक मंत्रमुग्ध रह गए. ऊंट पालकों को बाद में इनाम भी मिला.
अंतरराष्ट्रीय उत्सव के दूसरे दिन शनिवार को राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र परिसर में कई प्रतियोगिताएं हुई. वही ऊंट डांस प्रतियोगिता में बजरंग ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. इसी प्रकार ऊंट फर कटिंग प्रतियोगिता में मोहन सिंह ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. ऊंट सज्जा प्रतियोगिता में लक्ष्मण राम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया.
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