
बिहार में चौथे कृषि रोडमैप बनाने का कार्य अंतिम पड़ाव की ओर है. वहीं पशु एवं मत्स्य से जुड़े किसानों को आने वाले पांच साल में एक बेहतर स्थिति में लाने के लिए चौथे कृषि रोडमैप तैयार किया जा रहा है. इसके तहत पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के द्वारा प्रस्तावित कार्य योजना का खांका को अंतिम रूप देने की कवायद शुरू हो चुकी है. चतुर्थ कृषि रोडमैप के अंदर पशुपालन एवं मत्स्य के क्षेत्र में 2023-28 के बीच में 5,750 नई दुग्ध समितियों की स्थापना की जानी है. इस अवधि के दौरान प्रति दिन 27 लाख किलो दुग्ध संग्रहण करने का लक्ष्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जा रहा है. इसके अलावा युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से समग्र गव्य विकास योजना के माध्यम से राज्य में 27,802 डेयरी खोलने का लक्ष्य है. वहीं पशुओं के नस्ल सुधार,मुर्गी, सूकर, बकरी पालन को लेकर योजनाएं शुरू की जाएगी.
मत्स्य के क्षेत्र में समेकित चौर विकास, जलाशय मात्स्यिकी विकास, तालाब मात्स्यिकी विकास सहित अन्य योजनाओं के जरिए कार्य किया जाएगा. वहीं मछलियों की प्रजाति विविधीकरण के तहत आने वाले पांच साल में 27 माइनर कार्प एवं कैट फिश हैचरी का अधिष्ठापन किया जाएगा.
बता दें आधुनिक तरीके से खेती को बढ़ावा देने व किसानों को ज्यादा फायदा मिल सके. इसको लेकर अब तक प्रदेश सरकार तीन कृषि रोडमैप बना चुकी है. इसी के तहत प्रदेश के पशुपालन व मत्स्य से जुड़े किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य भी किए गए हैं. वहीं चौथे कृषि मैप में करीब 12 विभागों को सम्मिलित किया गया है. इन्हीं विभागों में से एक पशुपालन व मत्स्य संसाधन विभाग आने वाले पांच साल में विभिन्न क्षेत्रों में प्रस्तावित कार्य योजना के तहत कार्य करेगी.
पशुपालन के जरिये रोजगार सृजन करने के लिए सरकार विशेष ध्यान दे रही है. इसके लिए सरकार की महत्वकांक्षी योजना समग्र गव्य विकास योजना के जरिये राज्य के सभी वर्ग के पशुपालकों, बेरोजगार युवक युवतियों को डेयरी इकाई खोलने के लिए अनुदान दिया जाएगा. इस योजना के जरिये सरकार 2 एवं 4 दुधारू पशु की डेयरी इकाई खोलने वाले लोगों को 50 से 75 प्रतिशत अनुदान देगी. वहीं करीब 27,802 डेयरी इकाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके साथ ही देशी गौ पालन के तहत 15 एवं 20 दुधारू पशुओं के लिए अनुदान देगी. साथ ही 3422 डेयरी इकाई का लक्ष्य प्रस्तावित है.
चतुर्थ कृषि रोडमैप के पांच साल के कार्यकाल के दौरान सरकार प्रति दिन 27 लाख किलो राज्य में दुग्ध संग्रहण करने का लक्ष्य प्रस्तावित है. साथ ही दुग्ध उत्पादकों की क्षमता एवं ज्ञान वृद्धि के लिए 64,900 दूध उत्पादकों को प्रशिक्षित किया जाएगा. ग्रामीण सहकारिता समिति के बारे में अधिक जानकारी विकसित करने के लिए सूबे के करीब 7500 गांव में जागरूकता विकास कार्यक्रम चलाये जाएंगे.
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राज्य के आबादी का लगभग 90 प्रतिशत लोग गांव में रहते हैं. वहीं अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र के लोग पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. लेकिन आज भी बहुत कम लोग बेहतरीन नस्ल के पशुओं का पालन करते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए चतुर्थ कृषि रोडमैप में पशु नस्ल सुधार पर भी जोर दिया जाएगा. इसको लेकर करीब 11,274 कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता को प्रशिक्षित किया जाएगा. बिहार पशु प्रजनन नीति के तहत पूर्णिया सीमेन स्टेशन में प्रति वर्ष 50 लाख उन्नत नस्ल के लिए frozen semen straws का उत्पादन किया जाएगा. पशुओं के संक्रामक रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण, पशुओं में अंतकृमिनाशन, पशु बांझपन निवारण शिविर का आयोजन होगा. वहीं पशुपालकों को अधिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए. मोबाइल पशु चिकित्सा, कॉल सेंटर, अनुमंडल स्तर पर संचालित पशु चिकित्सा में 365 दिन इंडोर पशु चिकित्सा, पैथोलॉजी जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. इसके अलावा शोध क्षेत्र में भी प्रस्तावित कार्य योजना तैयार किया जा रहा है. वहीं बकरी, मुर्गी व सूकर पालन पर भी जोर होगा.
मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए चतुर्थ कृषि रोडमैप के तहत 2023-28 के बीच में जलाशय मात्स्यिकी विकास योजना के तहत पहली बार जलाशयों में अंगुलिका संचयन, केज, पेन आधारित मछली पालन की शुरुआत की जाएगी. इस तकनीक के माध्यम से करीब एक हजार टन अतिरिक्त मछली उत्पादन होने का अनुमान है. वहीं प्रत्यक्ष रूप से करीब 6500 एवं अप्रत्यक्ष रूप से 15 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. साथ ही 900 हेक्टेयर में नये तालाब, 900 हेक्टेयर में रियरिंग तालाब, निजी क्षेत्र में 1000 एवं सरकारी क्षेत्र में 1000 हेक्टेयर में पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार व निर्माण किया जाएगा. वहीं अन्य योजनाओं के जरिए विकास का कार्य किया जाना है.
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