दक्षिण पश्चिम मॉनसून की गति को देखते हुए UP Agriculture Research Council में शामिल कृषि एवं मौसम वैज्ञानिकों ने खेती से जुड़े संभावित हालात पर विचार विमर्श कर किसानों को परामर्श जारी किया है. यूपी कृषि अनुसंधान परिषद के सचिव पीयूष कुमार शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में माॅनसून की प्रगति को देखते हुए अगले एक सप्ताह के लिए मौसम के पूर्वानुमान पर विस्तार से चर्चा की गई. परिषद में शामिल कृषि और मौसम वैज्ञानिकों के समूह Crop Weather Watch Group की ओर किसानों को मौसम के तेजी से बदलते मिजाज को देखते हुए कुछ खास एहतियात बरतने को कहा गया है. बैठक में बताया गया कि दक्षिण-पश्चिम माॅनसून 27 जून को West UP के अलावा पूरब के तराई इलाकों में सक्रिय हो चुका है. इस वजह से अगले एक सप्ताह तक प्रदेश के अधिकांश इलाकों में गरज बरस के साथ वर्षा होने और बिजली गिरने जैसी घटनाएं देखने को मिल सकती हैं.
क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की ओर से यूपी में मौसम के पूर्वानुमान को देखते हुए कहा गया कि प्रदेश के विभिन्न Agro Climatic Zone में कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो सकती है. इनमें Bundelkhand क्षेत्र के अधिकांश भाग तथा मध्य मैदानी क्षेत्र के दक्षिणी भाग में Average Max. Tamperature सामान्य से कम रहने की संभावना है. जबकि अन्य अंचलों में यह सामान्य अथवा सामान्य से आंशिक रूप से कम रहेगा.
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क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप ने मौसम के मौजूदा हालात को देखते हुए प्रदेश के किसानों के लिए परामर्श जारी किया है. इसमें Thunderstorm की घटनाओं को लेकर किसानों को आगाह किया गया है.
इसमें कहा गया है कि माॅनसून के आरंभिक चरण में बिजली गिरने की संभावना अधिक है. इससे होने वाले संभावित नुकसान से बचने के लिए सभी किसानों को Mobile Phone में IMD के 'दामिनी तथा सचेत ऐप' डाउनलोड करने का सुझाव दिया गया है. किसानों से अपील की गई है कि बिजली गिरने की घटनाओं से होने वाले नुकसान से बचने के लिए किसान Damini App और Sachet App में दिए गए निर्देशों का पालन करें.
खरीफ फसलों के बारे में ग्रुप ने कम अवधि की धान बोने जा रहे किसानों को परामर्श दिया है कि वे धान की तैयार पौध की रोपाई युद्धस्तर पर शुरू कर दें. धान की कम अवधि की प्रजातियों की सीधी बुवाई ड्रम सीडर या सीड ड्रिल से भी कर सकते हैं.
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ग्रुप ने खरीफ सीजन की अन्य फसलों को बोने जा रहे किसानों से कहा है कि वे Treated Seeds का ही प्रयोग करें. इनमें अरहर का अधिक उत्पादन प्राप्त करने हेतु रिज और मेड़ बनाकर मेड़ों पर बुआई करें. इनमें अरहर की नरेन्द्र अरहर 2, मालवीय चमत्कार, राजेन्द्र अरहर-2, आदि किस्मों की बुवाई किसान मेढ़ों पर करें.
इसके अलावा सोयाबीन की खेती करने वाले किसान इसकी पीके 472 और पीएस 564 आदि किस्मों की बुवाई प्रारंभ कर सकते हैं. खरीफ सीजन में मूंगफली बोने के इच्छुक किसान इसकी जीजेजी 9 और जीजेजी 31 आदि किस्मों की बुवाई शुरू कर सकते हैं.
वहीं, गन्ना के किसानों से गन्ने में चोटी बेधक कीट के प्रकोप की आशंका के दृष्टिगत सुरक्षित उपचार करने का परामर्श दिया गया है. गन्ने में लालसड़न रोग की आशंका को देखते हुए किसानों से कहा गया है कि गन्ने की पत्तियों की मध्य शिरा पर लालसड़न रोग के लक्षण दिखने पर पौधों को उखाड़कर नष्ट करें और थायोफिनेटमेथिल 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें.
जिन कृषकों ने हरी खाद के रूप में सनई या ढैंचे की बुआई की है, वे वह 40 से 42 दिन की पौध को पलटने का काम अब प्रारंभ कर दें. जिन किसानों की जमीन ऊसर है वे ऊसर सुधार के लिए जिप्सम को आवश्यकता के अनुसार खेत में डाल दें. इसके अलावा श्री अन्न की खेती कर रहे किसान मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कोदों आदि की बुवाई प्रारंभ कर सकते हैं.