Monsoon 2025: IMD का मॉनसून को लेकर बड़ा अपडेट, इस दिन होगी केरल में एंट्री

Monsoon 2025: IMD का मॉनसून को लेकर बड़ा अपडेट, इस दिन होगी केरल में एंट्री

मौसम विभाग ने आज शनिवार को दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की एंट्री की अनुमानि‍त तारीख का ऐलान भी कर दिया है. आईएमडी का कहना है कि इस बार मॉनसून 1 जून की सामान्य तारीख से पहले 27 मई को केरल पहुंचने की संभावना है.

Kerala Monsoon Entry DateKerala Monsoon Entry Date
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 10, 2025,
  • Updated May 10, 2025, 2:22 PM IST

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) अप्रैल के महीने में ही मॉनसून पूर्वानुमान को लेकर आउटलुक जारी कर चुका है. वहीं, अब मौसम विभाग ने आज शनिवार को दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की एंट्री की अनुमानि‍त तारीख का ऐलान भी कर दिया है. आईएमडी का कहना है कि इस बार मॉनसून 1 जून की सामान्य तारीख से पहले 27 मई को केरल पहुंचने की संभावना है. आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, अगर मानसून उम्मीद के मुताबिक केरल पहुंचता है तो यह 2009 के बाद से भारतीय मुख्य भूमि पर सबसे जल्दी दस्तक देगा, जब यह 23 मई को शुरू हुआ था.

कब से कब तक रहता है मॉनसून ?

भारतीय मुख्य भूमि पर मुख्य वर्षा-वाहक प्रणाली के आगमन की आधिकारिक घोषणा तब की जाती है, जब यह आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल पहुंचता है. मॉनसून आमतौर पर 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर करता है और 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से वापस लौटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरा हो जाता है. पिछले साल 30 मई को दक्षिणी राज्य में मॉनसून आया था, जबकि‍ 2023 में 8 जून को आया था.

वहीं, 2022 में 29 मई को, 2021 में 3 जून को, 2020 में 1 जून को 2019 में 8 जून को आया था. इससे प‍िछले साल यानी 2018 में मॉनसून ने 29 मई को दस्‍तक दी थी.  IMD के एक अधिकारी ने कहा कि मौसम के दौरान देशभर में होने वाली कुल बारिश और शुरुआत की तारीख के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. अधिकारी ने कहा कि केरल में जल्दी या देर से आने वाले मॉनसून का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों को भी उसी तरह कवर करेगा. यह बड़े पैमाने पर परिवर्तनशीलता और वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय विशेषताओं की विशेषता है.

नहीं रहेगा अल नीनो का असर

IMD ने अप्रैल में 2025 के मॉनसून सीजन में सामान्य से ज्‍यादा संचयी बारिश का पूर्वानुमान लगाया था, जिसमें अल नीनो की स्थिति की संभावना को खारिज कर दिया गया था. बता दें कि अगर मॉनसून के दौरान अगर अल नीनो की सक्रियता की स्थिति बनती है तो यह भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम बारिश का कारण बनती है. लेकिन, आईएमडी ने इस साल के लिए अल नीनो की स्थिति को नकार दिया है.

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा था कि भारत में चार महीने के मॉनसून सीजन (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है, जिसमें संचयी बारिश 87 सेमी की लंबी अवधि के औसत का 105 प्रतिशत (5 प्रतिशत की मॉडल त्रुटि के साथ) होने का अनुमान है.

ऐसे रिकॉर्ड की जाती है बारिश

आईएमडी के अनुसार, 50 साल के औसत 87 सेमी के 96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत के बीच बारिश को 'सामान्य' माना जाता है. दीर्घावधि औसत के 90 प्रतिशत से कम बारिश को 'कम' माना जाता है, 90 प्रतिशत से 95 प्रतिशत के बीच बारिश को 'सामान्य से कम' माना जाता है. 105 प्रतिशत से 110 प्रतिशत के बीच बारिश को 'सामान्य से अधिक' माना जाता है और 110 प्रतिशत से अधिक बारिश को 'अधिक' बारिश माना जाता है.

भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मॉनसून महत्वपूर्ण है, जो लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी की आजीविका का समर्थन करता है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है. यह देश भर में पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है. कृषि नर्सरी और गार्डन सर्विस के खिलाफ यह आदेश जारी किया गया. (पीटीआई)

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