
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश, केरल, दक्षिण कर्नाटक और तमिलनाडु में आज गरज-चमक के साथ बारिश होने की संभावना है. वहीं, कुछ जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश की आशंका है. उत्तर तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश और रायलसीमा में भारी बारिश के साथ तेज हवाओं का खतरा बना रहेगा. साथ ही तटीय क्षेत्रों में जलभराव, पेड़ों के गिरने और फसलों को नुकसान की आशंका जताई गई है. वहीं, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर राजस्थान और झारखंड में 4 से 7 दिसंबर तक शीतलहर (कोल्ड वेव) के चलते कड़ाके की ठंड पड़ने की चेतावनी जारी की है.
मौसम विभाग के मुताबिक, बीते दिन तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में कई जगहों पर भारी से अत्यंत भारी बारिश रिकॉर्ड की गई. आंध्र के तिरुपति जिले के चित्तमूर में 27 सेमी, जबकि तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में 15 सेमी बारिश रिकॉर्ड हुई. वहीं, ओडिशा और हिमाचल के कुछ हिस्सों में घना कोहरा छाया रहा. उत्तराखंड में कुछ इलाकों में पाला (ग्राउंड फ्रॉस्ट) भी पड़ा.
आईएमडी ने बताया कि अगले कुछ दिनों में उत्तर-पश्चिम भारत के तापमान में कोई बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है, लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्य भारत और पूर्वोत्तर में अगले तीन दिनों में रात के तापमान में 2 से 3 डिग्री की गिरावट संभव है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में न्यूनतम तापमान 5°C से नीचे रहने का अनुमान है. पंजाब के आदमपुर में देश का सबसे कम तापमान 2.4°C दर्ज हुआ.
दिल्ली में तापमान में 2 से 3 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है. यहां 4 और 5 दिसंबर को हल्का कोहरा, कड़ाके की ठंड और सुबह के समय तापमान 4-6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने का अनुमान है. 6 दिसंबर को न्यूनतम तापमान 7-9 डिग्री सेल्सियस हो सकता है. इस दौरान उत्तर-पश्चिम दिशा से 10-15 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चलेगी.
आईएमडी के मुताबिक, पूर्वोत्तर राज्यों- असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में 4 से 6 दिसंबर के बीच सुबह के समय घना कोहरा छाने की संभावना है. ओडिशा में भी 4 और 5 दिसंबर को कोहरा रहेगा. मध्य महाराष्ट्र में कुछ स्थानों पर ठंड की स्थिति बनी रहेगी.
मौसम विभाग के डिविजन एग्रोमेट की ओर से दक्षिण भारत के किसानों को खेतों से अतिरिक्त पानी निकालने, केले और अन्य फलों के पौधों को सहारा देने और कटाई का कार्य टालने की सलाह दी गई है. उत्तर-पश्चिम भारत के किसानों को पाला और ठंड से बचाने के लिए फसलों में हल्की सिंचाई, मल्चिंग और पौधों को कवर करने की जरूरत है. पशुपालकों को जानवरों को बारिश और ठंड से बचाकर रखने, सूखा चारा सुरक्षित रखने और पानी निकासी की व्यवस्था पक्की करने की सलाह दी गई है.