कपास छोड़कर मटर की खेती में उतरीं गीताबेन, अब कम लागत में मिलने लगा तगड़ा मुनाफा

कपास छोड़कर मटर की खेती में उतरीं गीताबेन, अब कम लागत में मिलने लगा तगड़ा मुनाफा

कपास छोड़ कर मटर चुनने के पीछे वजह क्या रही? इस बारे में गीताबेन ने बताया कि 1 बीघा खेत में कपास से जितनी कमाई होनी चाहिए, उतनी नहीं हो रही थी. उन्होंने बताया कि कपास एक कमर्शियल फसल हो सकती है, मगर इसमें बहुत मेहनत की जरूरत होती है. यहां तक कि गीताबेन का 5 मेंबर का पूरा परिवार इसी खेती में लगा रहता था. लेकिन कमाई बहुत कम होती थी.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 14, 2025,
  • Updated Feb 14, 2025, 5:39 PM IST

सफलता की यह कहानी गुजरात की गीताबेन की है जो साबरकांठा जिले की रहने वाली हैं. इस जिले में अधिकांश आबादी किसानों की है और उनकी कमाई बेहद कम है. यह देश के सबसे पिछड़े जिलों में आता है जहां के अधिकतर किसान कपास और गेहूं की खेती में लगे हुए हैं. इसी जिले के विजयनगर तालुका में भामभूड़ी गांव है जहां महिला किसान गीताबेन रहती हैं. उनका पूरा नाम गीताबेन हरेशभाई है जिन्हें खेती में जोखिम लेने और सफलता पाने के लिए जाना जाता है.

दरअसल, गीताबेन शुरू से अन्य किसानों की तरह कपास की खेती करती थीं. दूसरा कोई उपाय नहीं था क्योंकि वर्षों से पूरा परिवार कपास की खेती में ही लगा हुआ था. लेकिन मेहनत और कम कमाई को देखते हुए गीताबेन ने कपास की खेती छोड़ने और मटर को आजमाने का फैसला किया. गुजरात में मटर की खेती प्रमुखता से नहीं होती, लेकिन गीताबेन ने इसमें जोखिम लेने का सोचा क्योंकि कम मेहनत में अच्छी कमाई का जरिया दिखा.

क्यों छोड़ी कपास की खेती

कपास छोड़ कर मटर चुनने के पीछे वजह क्या रही? इस बारे में गीताबेन ने बताया कि 1 बीघा खेत में कपास से जितनी कमाई होनी चाहिए, उतनी नहीं हो रही थी. उन्होंने बताया कि कपास एक कमर्शियल फसल हो सकती है, मगर इसमें बहुत मेहनत की जरूरत होती है. यहां तक कि गीताबेन का 5 मेंबर का पूरा परिवार इसी खेती में लगा रहता था. लेकिन कमाई बहुत कम होती थी. 

यहां तक कि बाहरी लेबर पर भी निर्भर रहना पड़ता था. इसमें पैसा और श्रम दोनों की खपत अधिक थी. कपास की फसल बीमारियों की चपेट में अधिक आती है जिससे बचाव के लिए केमिकल स्प्रे की अधिक जरूरत होती है. इस पर खर्च अधिक होता है. जब कुछ काट-छांट कर गीताबेन को 1 बीघा में 25 हजार रुपये ही बचते थे. इन सभी बातों को देखते हुए गीताबेन ने मटर की खेती की ओर रुख किया.

कपास से अधिक मटर में फायदा

गीताबेन बाजार में मटर के बीज खरीदने गईं तो पता चला कि कपास की तुलना में बेहद सस्ता है. मटर की फसल तैयार होने में कपास से कम समय भी लेती है. बड़ा फायदा ये कि इसे कई बार काटा जा सकता है और इसके पौधे चारे के रूप में भी इस्तेमाल होते हैं. उन्होंने बताया कि मटर की खेती में मात्र 15 दिन ही अधिक श्रम की जरूरत होती है, वह भी जब उसकी कटाई की जाती है. बाकी दिनों में फसल की विशेष देखभाल की जरूरत नहीं होती है.

मटर से कमाई के बारे में गीताबेन बताती हैं कि उपज को तीन बार काटा और मंडियों में अच्छे दाम पर बेचा. इसके लिए वे वडाली की मंडियों में गईं. पहली बार उन्होंने 31 रुपये प्रति किलो की दर से मटर की उपज बेची. दूसरी बार 20 रुपये और तीसरी बार 18 रुपये की दर से उपज की बिक्री की.

उन्होंने बताया कि एक बार की फसल में वे 40 से 45,000 रुपये का लाभ कमा रही हैं जबकि कपास में यह लाभ 25,000 रुपये का होता था. इस तरह गीताबेन कपास से 15,000 रुपये अधिक कमा रही हैं. गीताबेन की इस सफलता को देखते हुए उनके गांव के अन्य किसान भी मटर की खेती में लग गए हैं.

 

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