उत्तर प्रदेश में 90 फ़ीसदी सीमांत किसान हैं, जिनके पास 3 एकड़ तक खेती का रकबा है. छोटी जोत होने के बावजूद कई ऐसे किसान भी हैं जिन्होंने अपनी खेती के दम पर बड़े-बड़े काम कर लिए हैं. ऐसे ही एक किसान लखनऊ के गोसाईगंज ब्लॉक के कासिमपुर के रमेश वर्मा है. खुद के पास एक बीघे की खेती होने के बावजूद भी उन्होंने अपने हौसलों को बनाए रखा. लगातार खेती के माध्यम से नए-नए प्रयोग करते रहे और फिर 2004 से खेती में कुछ ऐसा कमाल किया जिसकी वजह से उनकी आय बढ़ी, गरीबी से निजात भी मिली. छोटी सी खेती में उन्होंने ऐसा कमाल किया जिसके बलबूते अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दें रहे हैं. खेती के दम पर बेटा शिवम वर्मा बड़ा अधिकारी बन गया है. रमेश वर्मा आज पूरे क्षेत्र के लिए एक मॉडल बन चुके हैं.
कासिमपुर गांव के रहने वाले किसान रमेश वर्मा बताते हैं कि वह 1994 से खेती कर रहे हैं. उनके पास अपनी केवल 1 बीघे की खेती है. इस खेत में वह अंग्रेजी सब्जियों की खेती करते हैं जिसके बलबूते उन्हें 8 से 9 लाख रुपये सालाना का मुनाफा हो जाता है. उन्होंने खेती में शुरुआती दौर से ही संघर्ष किया है लेकिन उन्होंने अपना हौसला कभी नहीं छोड़ा. आज अपनी मेहनत और खेती से मिलने वाली आय के बलबूते अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा दे रहे हैं, जबकि बेटा आयकर विभाग में क्लास वन का अधिकारी बन चुका है.
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लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर स्थित कासिमपुर गांव के रहने वाले किसान रमेश वर्मा भले ही छोटे किसान हैं लेकिन अब वह किसी पहचान के मोहताज नहीं है. वे बताते हैं की 2004 से ही विदेशी सब्जियों की खेती करते हैं. वही उनकी उगने वाली फसल की होटलों में खूब मांग है जिससे उन्हें अच्छी आमदनी भी होती है. उन्होंने पॉलीहाउस में तीन रंग की शिमला मिर्च का उत्पादन कर रहे हैं तो इसके अलावा केल, लेट्यूस, येलो स्क्वैश, चेरी टमाटर, आइस बर्ग की खेती कर रहे हैं. उनके द्वारा उगाई जाने वाली फसलों का अच्छा दाम भी उन्हें मिल रहा है. जिसके चलते उन्हें सालाना 14 से 15 लाख रुपए की आमदनी होती है. अगर मुनाफे की बात की जाए तो 8 से ₹9 लाख का मुनाफा हो जाता है. उनके लखनऊ के साथ-साथ बाराबंकी से भी किसान स्थिति सीखने के लिए आते हैं. उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं.