3 एकड़ में काला नमक चावल की खेती, पढ़िए कैसे बंपर कमाई कर रहा गोंडा का यह किसान

3 एकड़ में काला नमक चावल की खेती, पढ़िए कैसे बंपर कमाई कर रहा गोंडा का यह किसान

kala Namak Rice Story: गोंडा के सफल किसान अनिल ने आगे बताया कि इस खास काले नमक चावल की विशेषता यह है कि यह शुगर फ्री होता है, जिससे इसे शुगर के मरीज भी सुरक्षित रूप से खा सकते हैं और उन्हें किसी प्रकार की समस्या नहीं होती. अच्छी पैदावार के लिए वे हरी खाद और जैविक खाद का उपयोग करते हैं.

 गोंडा जिले के बभनजोत निवासी किसान डॉ. अनिल श्रीवास्तव (Photo-Kisan Tak) गोंडा जिले के बभनजोत निवासी किसान डॉ. अनिल श्रीवास्तव (Photo-Kisan Tak)
नवीन लाल सूरी
  • LUCKNOW,
  • Dec 24, 2024,
  • Updated Dec 24, 2024, 3:45 PM IST

मेहनत और तकनीक के उपयोग से मिट्टी भी सोना उगलने लगती है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में गोंडा जिले के रहने वाले एक पीएचडी धारक किसान फूलों की खेती से सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं. गोंडा जिले के विकासखंड बभनजोत निवासी किसान डॉ. अनिल श्रीवास्तव जैविक तरीके से काले नमक चावल की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. इंडिया टुडे के किसान तक से खास बातचीत में डॉ. अनिल ने बताया कि वो बॉटनी में पीएचडी करने के बाद हाजी नवाज अली पीजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं, बताते हैं कि वह जैविक खेती में रुचि रखते हुए काले नमक चावल की खेती कर रहे हैं. इस खेती से उन्हें सालाना 3 से 4 लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है.

3 एकड़ में 45 क्विंटल काला नमक चावल की पैदावार

अनिल श्रीवास्तव बताते हैं कि साल 2022 से काला नमक चावल की खास प्रजाति बौनी की खेती हम 3 एकड़ में कर रहे है. दरअसल, गोरखपुर के कृषि वैज्ञानिक रामचेत चौधरी काला नमक चावल पर रिसर्च और शोध के लिए जाने जाते हैं. उनके मार्गदर्शन में हमने पहली बार काला नमक की बौनी वैरायटी की खेती की. जिससे हम पिछले साल एक एकड़ में 15 क्विंटल उत्पादन हुआ. यानी 3 एकड़ में 45 क्विंटल की पैदावार हुई. उन्होंने बताया कि एक किलो काला नमक चावल 150 रुपये रेट से बिका था. इस बार 5 एकड़ में काला नमक चावल की खेती करने की योजना बनाई गई है.

हरी खाद और जैविक खाद का उपयोग

गोंडा के सफल किसान अनिल ने आगे बताया कि इस खास काले नमक चावल की विशेषता यह है कि यह शुगर फ्री होता है, जिससे इसे शुगर के मरीज भी सुरक्षित रूप से खा सकते हैं और उन्हें किसी प्रकार की समस्या नहीं होती. अच्छी पैदावार के लिए वे हरी खाद और जैविक खाद का उपयोग करते हैं, जो उत्पादन को प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक बनाए रखता है.

सिद्धार्थनगर से ही मंगवाते हैं काला नमक चावल का बीज

उन्होंने बताया कि इस चावल का बीज भी वे सिद्धार्थनगर से ही मंगवाते हैं. वहीं गोंडा जिले के काफी किसान अब काले नमक की खेती की ओर रुख कर रहे हैं क्योंकि इसकी बाजार में अधिक डिमांड है और यह अन्य चावलों के मुकाबले महंगा बिकता है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ होता है.

150 से 160 दिन में यह फसल पूरी तरह तैयार

काले नमक चावल की खेती के लिए बलुई दोमट या चिकनी मिट्टी, जिसमें जल धारण की क्षमता हो, उपयुक्त मानी जाती है. इस चावल की फसल को तैयार होने में अन्य धान की प्रजातियों की अपेक्षा ज्यादा समय लगता है, लगभग 150 से 160 दिन में यह फसल पूरी तरह तैयार होती है. गोंडा जिले के विकासखंड बभनजोत निवासी किसान डॉ. अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि काले नमक चावल की खेती के लिए बलुई दोमट या चिकनी मिट्टी, जिसमें जल धारण की क्षमता हो, उपयुक्त मानी जाती है.

काला चमक को मिला जीआई टैग

खाने में बेहद स्वादिष्ट और सुगंधित यह चावल अब धीरे- धीरे वैश्विक पहचान भी बनता जा रहा है. सरकार की तरफ से इसे जीआई टैग भी मिल चुका है. बता दें कि काला नमक चावल जिसे प्रचलित दंत कथाओं के अनुसार गोरखपुर सहित महाराजगंज और आसपास के क्षेत्र में महात्मा बुद्ध का "महाप्रसाद" भी कहा जाता है.


 

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