सेब का नाम आते ही हिमाचल और कश्मीर के सेब याद आने लगते हैं. देश में सेब का सबसे ज्यादा उत्पादन ठंडे प्रदेशों में होता है क्योंकि गर्म जलवायु में सेब को उगाना आसान नहीं है. वही वैज्ञानिकों के लंबे प्रयास के बाद सेब की कुछ ऐसी किस्म को विकसित कर लिया गया है जो गर्म जलवायु में भी पूरी तरीके से सफल हैं. सेब की ऐसे ही एक प्रजाति है हरमन-99 जिसको बनारस के किसान ने अपने खेतों में उगाया है. 44 डिग्री के तापमान में भी किसान को सेब को उगाने में सफलता मिली है . सेब उगाने वाला किसान राधेश्याम पटेल अब बनारसी लंगड़े की तरह बनारसी सेब (Banarasi apple) को भी फ़ेमस करने में लगे हुए हैं. बनारसी में सेब की पैदावार से किसान का नाम खूब सुर्खियों में है.
वाराणसी के सेवापुरी विकासखंड के भटपुरवा गांव के रहने वाले राधेश्याम पटेल ने यूट्यूब से देख कर सेब की खेती का मन बनाया. इसके लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश से गर्मी में पैदा होने वाले सेब की किस्म की पौधों को भी मंगाया और फिर अपने खेतों में कृषि वैज्ञानिकों के निर्देशन में बताए गए तरीकों से लगाया. राधेश्याम पटेल किसान तक को बताते हैं कि उन्होंने डेढ़ सौ सेब के पेड़ अपने खेत में लगाए. 1 साल तक उन्होंने इन पेड़ों को गांव के लोगों से छुपा के रखा. उनका कहना था कि अगर सफल हो जाएंगे तो इसकी चर्चा खुद-ब-खुद होने लगेगी. अब 2 साल के बाद सेब के पेड़ में भरपूर फल आने लगे हैं. हिमाचल के सेब की तरह सुर्ख लाल रंग भी अब आने लगा है जिसको देखकर राधेश्याम पटेल काफी ज्यादा खुश है. उनका कहना है कि जिस तरीके से बनारसी लंगड़ा आम की शोहरत है उसी तरह बनारसी सेब की भी एक अलग पहचान बनानी है.
वाराणसी के सेवापुरी के भटपुरवा गांव के रहने वाले दो भाई राधेश्याम पटेल और संजय पटेल का नाम आज पूरे जनपद में सेब की खेती के लिए चर्चित हो चुका है. हिमाचल और कश्मीर जैसे मीठे और रसीले सेब को पैदा करने का सफल प्रयोग इन दोनों भाइयों ने कर दिखाया है. राधेश्याम पटेल ने किसान तक को बताया कि सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर सेब की खेती शुरू करने का मन बनाया था. उन्होंने हिमाचल से 500 पेड़ मंगाए. राधेश्याम पटेल का कहना था कि सेब की खेती की शुरुआत की तो गांव वालों ने उनका खूब मजाक उड़ाया लेकिन इसकी परवाह किए बगैर उन्होंने सेब की खेती को सफल बनाने में दिन रात लगे रहे. दिन रात खेतो में मेहनत के चलते उनके पेड़ों में 2 साल में ही इनमें फल आ गए. अब तक उनके खेत से 100 किलो से ज्यादा सेब निकल चुके हैं जिसका दाम भी उन्हें अच्छा मिला है.
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बनारसी सेब का स्वाद हिमाचल और कश्मीर के सेब से बिल्कुल अलग है. हिमाचल और कश्मीर के सेब जहां मिठास के लिए जाने जाते हैं तो वही राधेश्याम पटेल के खेत में पैदा होने वाला सेव का स्वाद मिठास के साथ-साथ खट्टापन लिए हुए हैं. सेब के इस स्वाद को अब अलग पहचान मिली है. वाराणसी के मंडलीय उद्यान अधिकारी जयकरण सिंह ने बताया कि गरम जगहों पर सेब की खेती संभव नहीं थी लेकिन कई ऐसी अब सेब की ऐसी किस्म भी विकसित हुई है जिनको 44 -45 डिग्री के तापमान में भी उगाया जा सकता है. सेवापुरी के दोनों किसानों ने सेब की खेती से दूसरे किसानों का हौसला भी बढ़ाया है. उद्यान विभाग इस खेती को बढ़ावा देने के लिए और अधिक किसानों को प्रोत्साहित भी करेगा.
सेव की खेती करने वाले किसान राधेश्याम पटेल का कहना है कि उन्होंने हरीमन-99 प्रजाति के सेब के पौधे लगाए हैं. इस किस्म के सेब के पौधों का उत्पादन भी अच्छा है. उनके खेत में अभी एक पेड़ से उन्हे 25 से 30 फल मिले है. इस हिसाब से एक पेड़ से 5 से 10 किलो सेब मिल सकते हैं. सेब को चिड़ियों से बचाने के लिए उन्होंने पूरे खेत के ऊपर जाल लगाया हुआ है जिसकी बदौलत उन्हें अच्छा उत्पादन मिल रहा है. अभी तक 2 साल के पौधों से 100 किलो सेब को मंडी में बेच चुके हैं. मंडी में बेचने से उन्हे ₹150 प्रति किलो का भाव मिला है जो उनके लिए पहली बार में काफी अच्छा था.
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