
साल 2025 उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए बदलाव और राहत का साल बनकर सामने आया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने कृषि को केंद्र में रखकर ऐसे कई फैसले लिए, जिनका असर सीधे किसानों की लागत, आय, बाजार पहुंच और सामाजिक सुरक्षा पर पड़ा. कर्ज सस्ता करने से लेकर गन्ना मूल्य बढ़ाने, मंडी शुल्क में राहत से लेकर कृषि मजदूरी बढ़ाने तक वर्ष 2025 में लिए गए निर्णयों ने खेती-किसानी को मजबूती देने की दिशा तय की.
उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों का फोकस साफ रहा कि किसान केवल योजनाओं का लाभार्थी न रहे, बल्कि उसकी आय, उत्पादन और बाजार हिस्सेदारी मजबूत हो. इसी सोच के साथ 2025 में कई ऐतिहासिक फैसले लागू किए गए, जो आने वाले वर्षों में भी कृषि अर्थव्यवस्था की नींव बनेंगे.
वर्ष 2025 की सबसे अहम घोषणाओं में मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना रही. अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के तहत 21 दिसंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लघु और सीमांत किसानों के लिए कर्ज को सस्ता करने का ऐलान किया.
अब यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक के माध्यम से किसानों को महज 6 प्रतिशत ब्याज दर पर लोन मिलेगा, जबकि पहले यही ब्याज दर 11.50 प्रतिशत थी. शेष ब्याज राशि राज्य सरकार वहन करेगी. इससे किसानों पर कर्ज का बोझ घटा और उन्हें खेती में निवेश के लिए सीधी राहत मिली.
योगी सरकार ने गन्ना किसानों को भी वर्ष 2025 में बड़ी सौगात दी. पेराई सत्र 2025-26 के लिए गन्ना मूल्य में 30 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई, जिसे रिकॉर्ड इजाफा माना गया. इसके बाद अगैती गन्ना का मूल्य 400 रुपये, सामान्य प्रजाति का 390 रुपये और अनुपयुक्त प्रजाति का 355 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया. इस फैसले से लाखों गन्ना किसानों की आय में सीधा इजाफा हुआ और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली.
फूलों की खेती करने वाले किसानों के लिए 2025 राहत भरा साबित हुआ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी प्रकार के फूलों को विनिर्दिष्ट कृषि उत्पाद की श्रेणी से हटाकर गैर-विनिर्दिष्ट श्रेणी में रखने का फैसला किया. इस निर्णय के बाद फूल किसानों को मंडी शुल्क से पूरी तरह मुक्ति मिल गई. यह फैसला खासतौर पर छोटे और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद रहा, जो मौसमी खेती कर अपनी आजीविका चलाते हैं.
खेती-किसानी की रीढ़ माने जाने वाले कृषि श्रमिकों के लिए भी 2025 बड़ा बदलाव लेकर आया. प्रदेश सरकार ने कृषि श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी बढ़ाकर 252 रुपये प्रतिदिन और 6552 रुपये प्रतिमाह कर दी. इस फैसले से ग्रामीण श्रमिकों की आय में सुधार हुआ और खेती से जुड़े लाखों परिवारों को आर्थिक सुरक्षा मिली.
प्रदेश सरकार ने खेती को केवल उत्पादन तक सीमित न रखते हुए उससे जुड़े क्षेत्रों में भी विकास पर जोर दिया. संत कबीरदास के नाम पर टेक्सटाइल पार्क, संत रविदास के नाम पर लेदर पार्क और चौधरी चरण सिंह के नाम पर सीड पार्क स्थापित करने के फैसले लिए गए. इन परियोजनाओं का उद्देश्य किसानों को फसल का बेहतर बाजार, मूल्य संवर्धन और रोजगार से जोड़ना रहा.
वर्ष 2025 में शुरू किए गए ‘समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश @2047’ अभियान में कृषि को प्रमुख आधार बनाया गया. सरकार ने स्पष्ट किया कि 2047 तक विकसित उत्तर प्रदेश का सपना किसानों की समृद्धि के बिना पूरा नहीं हो सकता.
कृषि, जल संसाधन, ग्रामीण अधोसंरचना और बाजार सुधार को इस अभियान में प्राथमिकता दी गई.
काशी-विंध्य क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण के गठन से वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र, चंदौली जैसे जिलों में कृषि और ग्रामीण कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिला. इससे न केवल धार्मिक पर्यटन बल्कि कृषि उत्पादों की बाजार तक पहुंच भी आसान होने की उम्मीद बनी.
योगी सरकार ने घुमंतू और विमुक्त जातियों के लिए बोर्ड गठन और आवास व्यवस्था का फैसला लेकर खेती से जुड़े हाशिये के वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने की पहल की. इन वर्गों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने से ग्रामीण आजीविका को मजबूती मिली.
वर्ष 2025 में लिए गए फैसलों ने यह साफ किया कि उत्तर प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में किसान सबसे ऊपर है. सस्ता कर्ज, बेहतर मूल्य, मजदूरी में वृद्धि और मंडी सुधार जैसे निर्णयों ने खेती को घाटे से उबारने की दिशा में ठोस कदम रखा. योगी सरकार की नीतियों ने यह संदेश दिया कि किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ है.