योगी सरकार का दावा है कि Rural Areas में पीएम आवास योजना के तहत गरीबों के लिए आवास बनाने में यूपी, देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे आगे है. यूपी सरकार किसी भी परिवार को बेघर न रहना पड़े, इसके लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बेघर परिवारों को चिन्हित कर प्राथमिकता के आधार पर पक्के घर बना र दे रही है. राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग की ओर से बताया गया यूपी सरकार ने हर परिवार को छत देने की मुहिम के तहत अपनी Priority List का दायरा व्यापक किया है. इसके तहत अब सड़कों पर रहने वाली घुमंतू जातियों को भी पक्का घर देने की शुरुआत हुई है.
पीएम आवास योजना के तहत जो परिवार पक्के घर मिलने से वंचित रह गए हैं, उन्हें यह सहूलियत देने के लिए योगी सरकार, मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत सस्ते घर बनाकर दे रही है. इस योजना में ग्रामीण इलाकों के उन परिवारों की पहचान की गई जिनके पास अपना पक्का घर नहीं है.
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इस श्रेणी में बांसफोर, बसोड़ एवं धरकार जातियों को शामिल कर इसका दायरा बढ़ाया है. उपमुख्यमंत्री एवं ग्रामीण विकास मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि सरकार यूपी में सड़कों पर रहने वाली घुमंतू जातियों को भी पक्के घर देकर उन्हें बेघर रहने के सदियों पुराने अभिशाप से मुक्त करेगी. विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अनुसूचित जाति में शामिल इन तीनों समुदायों के यूपी में बेघर परिवारों की संख्या 10,423 है. ये परिवार राज्य के 27 जिलों में चिन्हित किए गए हैं.
इनमें बांसफोर समुदाय के परिवारों की संख्या 413, बसोड़ की संख्या 5029 और धरकार समुदाय के परिवारों की संख्या 4981 है. मौर्य ने बताया कि सड़कों के किनारे बांस का कार्य करके जीवन यापन करने वाली बांसफोर जाति तथा इसी कार्य से जुड़ी धरकार व बसोड़ जातियों को उनकी निर्धनता के दृष्टिगत सीएम आवास योजना (ग्रामीण) की पात्रता की प्राथमिकता श्रेणी में सम्मिलित किया गया है.
विभाग द्वारा जारी एक बयान में मौर्य ने कहा कि यूपी सरकार गरीबों को आवास देने के मामले में अव्वल है. उन्होंने ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस स्थिति को बरकरार रखने के लिए सस्ते आवास बनाने के काम में किसी प्रकार की कोताही न बरती जाए.
उन्होंने कहा कि जिन लाभार्थियों को घर बनाने के लिए जो धनराशि आवंटित की गयी है, उनके यदि नहीं बन पाये हैं या अधूरे हैं, तो उन्हें अतिशीघ्र पूरा कराया जाय. उन्होंने का कि इस काम में किसी भी स्तर पर ढिलाई बरतने की शिकायत मिलने पर सख्ती से जांच की जाए और दोषी पाए जाने पर सम्बन्धित अधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी.
राज्य के ग्राम्य विकास आयुक्त जी एस प्रियदर्शी ने बताया कि सस्ते आवास के निर्माण की लगातार समीक्षा की जा रही है. गत एक सितंबर को की गई समीक्षा में सभी जिलों के मुख्य विकास अधिकारियों (CDO) से उन पंचायतों का ब्योरा मांगा गया है, जिनमें अभी तक आवास निर्माण का काम अधूरा पड़ा है. उन्होंने इसके लिए ग्राम पंचायत स्तर पर समीक्षा करने का निर्देश दिया है. यह काम Mission Mode में पूरा करना है. विभाग की ओर से भी इसकी पूरी निगरानी की जा रही है.
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विभाग की ओर से आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से बताया गया कि पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के अन्तर्गत यूपी को वर्ष 2016-17 से अब तक 36.15 लाख आवास के निर्माण का लक्ष्य प्राप्त हुआ है. इसके सापेक्ष सरकार द्वारा अब तक 35.85 लाख आवास का निर्माण पूर्ण कराया जा चुका है.
इनमें से लगभग 30 हजार आवास अभी निर्माणाधीन है. इस प्रकार पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत लक्ष्य के सापेक्ष 99.21 प्रतिशत आवास का निर्माण कार्य पूरा हो गया है. यह अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा है.
इस मामले में यूपी के बाद दूसरे स्थान पर बिहार है. बिहार सरकार 98.72 प्रतिशत आवास बना चुकी है. जबकि 98.04 प्रतिशत आवास बनाकर राजस्थान तीसरे स्थान पर है. प्रियदर्शी ने बताया कि उत्तर प्रदेश शीघ्र ही 99.50 प्रतिशत आवास का निर्माण कार्य पूरा करने जा रहा है. यह भी अपने आप में कीर्तिमान होगा.