
केंद्र सरकार से ओडिशा को कृषि क्षेत्र में डिजिटल सुधारों के लिए बड़ी प्रोत्साहन राशि मिलने जा रही है. डिजिटल क्रॉप सर्वे और किसान रजिस्ट्री को सफलतापूर्वक लागू करने पर राज्य को कुल 155 करोड़ रुपये का इंसेंटिव मिलेगा. अधिकारियों के मुताबिक, यह राशि विशेष केंद्रीय सहायता यानी SCA के तहत मंजूर की गई है, जो एग्रीस्टैक (AgriStack) पहल का हिस्सा है. केंद्र ने औपचारिक रूप से ओडिशा सरकार के प्रस्तावों का मूल्यांकन किया और दोनों प्रमुख घटकों के लिए राज्य को पात्र घोषित किया है.
इस सहायता में डिजिटल क्रॉप सर्वे के लिए 100 करोड़ रुपये और किसान रजिस्ट्री के पहले माइलस्टोन को पूरा करने पर 55.48 करोड़ रुपये शामिल हैं. यह मंजूरी इस बात का संकेत है कि ओडिशा ने राष्ट्रीय मानकों का पालन करते हुए समय पर लक्ष्यों को पूरा किया है और योजनाओं को बड़े स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया है.
किसान रजिस्ट्री के जरिए राज्य में किसानों का एक प्रमाणित और सत्यापित डेटाबेस तैयार किया गया है. इससे सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की सही पहचान संभव हो पाई है. PM-KISAN, CM Kisan, फसल बीमा और अन्य कृषि योजनाओं का लाभ अब सही किसान तक पारदर्शी तरीके से पहुंचाया जा सकेगा. इससे गलत लाभार्थियों और दोहराव जैसी समस्याओं पर भी रोक लगेगी.
वहीं, डिजिटल क्रॉप सर्वे के तहत खेत स्तर पर यह जानकारी मिलती है कि किस प्लॉट में कौन सी फसल बोई गई है. इससे फसल क्षेत्र और उत्पादन का अधिक यथार्थ अनुमान लगाया जा सकता है. साथ ही सरकारी खरीद, भंडारण और योजना वितरण की तैयारी भी बेहतर होती है. यह प्रणाली अनुमान के बजाय वास्तविक और प्रमाणिक आंकड़ों पर आधारित निर्णय लेने में मदद करती है.
उप मुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव ने इसे राज्य के लिए गर्व का क्षण बताया. उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि ओडिशा की उस सोच को दर्शाती है, जिसमें कृषि को अधिक पारदर्शी, सक्षम और समृद्ध बनाने पर जोर दिया जा रहा है. उन्होंने कृषि और किसान सशक्तिकरण विभाग से इन डिजिटल टूल्स का बेहतर इस्तेमाल कर कृषि अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने की अपील की.
कृषि एवं किसान सशक्तिकरण विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार पाढ़ी ने कहा कि एग्रीस्टैक की मंजूरी से डेटा आधारित खेती को नई गति मिलेगी. ओडिशा में आजीविका, खरीद और इनपुट वितरण में कृषि की केंद्रीय भूमिका है. ऐसे में किसान रजिस्ट्री और डिजिटल क्रॉप सर्वे योजना आधारित व्यवस्था को छोड़कर प्रमाणिक, प्लॉट स्तर और साक्ष्य आधारित निर्णय प्रणाली की ओर बड़ा बदलाव साबित होंगे. (पीटीआई)