ज्यादा से ज्यादा किसानों तक किसान क्रेडिट कार्ड ( KCC) पहुंचाने की मोदी सरकार की मुहिम रंग लाने लगी है. पीएम-किसान स्कीम लाभार्थियों को कवर करते हुए खेती-किसानी के लिए सबसे सस्ता लोन देने के लिए फरवरी 2020 से एक विशेष अभियान चलाया गया है. इसके तहत 11 नवंबर 2022 तक रिकॉर्ड 376.97 लाख नए केसीसी आवेदनों को मंजूरी दी गई है. इनकी लोन लेने की लिमिट 4,33,426 करोड़ रुपये होगी. इससे किसानों की साहूकारों पर निर्भरता कम होगी. अगर वो बैंक को समय पर पैसा लौटाएंगे तो उन्हें महज 4 फीसदी ब्याज देना होगा.
इस अभियान के तहत केंद्र सरकार ने 2.5 करोड़ किसानों का किसान क्रेडिट कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा था. इस टारगेट को अक्टूबर 2022 में ही पूरा कर लिया गया था.लेकिन इसके बाद भी अभियान नहीं रोका गया. ज्यादा से ज्यादा किसान इसके तहत कवर हो सकें. क्योंकि अभी भी देश के कई सूबों में किसान साहूकारों से मोटे ब्याज पर खेती के लिए कर्ज लेते हैं. एनएसएसओ की एक रिपोर्ट बताती है कि साहूकारों से सबसे ज्यादा लोन आंध्र प्रदेश में लिया जाता है. यहां साहूकारों से लिया गया लोन प्रति किसान औसत 61,032 रुपये है.
बैंकिंग सेक्टर का माइंडसेट एंटी फार्मर है, यह कहने में कोई दुविधा नहीं है. लेकिन मोदी सरकार ने ऐसे माइंडसेट को बदलने की पूरी कोशिश की है. सरकार ने सबसे पहले किसान क्रेडिट कार्ड योजना को पीएम किसान स्कीम से जोड़ा. ताकि कार्ड बनवाना आसान हो जाए. पीएम किसान स्कीम के तहत देश के 10 करोड़ से अधिक किसानों का रेवेन्यू रिकॉर्ड, बैंक अकाउंट नंबर, मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का डेटाबेस केंद्र सरकार ने अप्रूव्ड किया हुआ है.
इसलिए किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने पर बैंक को यह साबित करने की जरूरत नहीं होगी कि आवेदक किसान है या नहीं. वो किसान है तभी तो पीएम किसान योजना में शामिल है और उसे सालाना 6000 रुपये मिल रहे हैं. मतलब बैंक आवेदक को किसान मानने के लिए बाध्य हो रहा है. ऐसे में केसीसी बनाने की रफ्तार तेज हुई है.
सभी योग्य किसानों को उनके कृषि कार्यों के लिए आसानी से और समय पर पैसा उपलब्ध करवाने के लिए केसीसी की शुरुआत की गई है. इसके जरिए किसान खाद, बीज और कीटनाशक आदि खरीदने के लिए सक्षम बनते हैं. केसीसी योजना को और सहज बनाया गया है. लाभार्थियों को एटीएम सक्षम डेबिट कार्ड दिया जा रहा है. सरकार का पैसा समय पर लौटाने पर 3 लाख रुपये तक के लोन का ब्याज मात्र 4 फीसदी लगता है. जो किसान 31 मार्च तक कर्ज नहीं चुकाते हैं उन्हें 7 फीसदी की दर से ब्याज देना पड़ता है.