खाद्य तेलों में आत्मन‍िर्भर बनने के ल‍िए देश में त‍िलहनी म‍िशन को लागू करने की मांग

खाद्य तेलों में आत्मन‍िर्भर बनने के ल‍िए देश में त‍िलहनी म‍िशन को लागू करने की मांग

इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) ने खाद्य तेलों पर व‍िदेशी निर्भरता को खत्म करने की मांग की है. इस संदर्भ में उन्होंने देश में एक बार फिर तिलहन मिशन को लागू करने की मांग की है.

खाद्य तेलों पर भारत कि निर्भरता को खत्म करने कि जरूरत खाद्य तेलों पर भारत कि निर्भरता को खत्म करने कि जरूरत
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 20, 2022,
  • Updated Dec 20, 2022, 12:09 PM IST

खाद्य तेलों के मामले में एक बार फिर भारत आत्मनिर्भर बनने की कोशिश में जुटा हुआ है. इसी कड़ी में इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) ने खाद्य तेलों पर व‍िदेशी निर्भरता को खत्म करने की मांग की है. इस संदर्भ में उन्होंने देश में एक बार फिर तिलहन मिशन लागू करने की मांग की है. IVPA ने कहा है क‍ि त‍िलहन म‍िशन लागू होने से वर्ष 2029-30 तक भारत की वनस्पति तेल आयात निर्भरता को 38-40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है.

गोवा में ग्लोबोइल इंडिया सम्मेलन में पहुंचे IVPA के अध्यक्ष सुधाकर देसाई ने खाद्य तेल में निर्भरता को खत्म करने की बात कही. उन्होंने कहा कि तिलहन पर मिशन अपनाकर भारत की आयात निर्भरता को मौजूदा 60-65 प्रतिशत से घटाकर 38-40 प्रतिशत किया जा सकता है.

2023 तक सरसों की फसल को बढ़ाने का लक्ष्य

IVPA के अध्यक्ष सुधाकर देसाई ने 2030 के लिए एक सर्वश्रेष्ठ स्थिति का अनुमान लगाते हुए कहा कि 2029-30 तक घरेलू उत्पादन को 2020-21 में 8.9 मिलियन टन से बढ़ाकर 20.9 मिलियन टन (mt) किया जाना चाहिए. सुधाकर देसाई ने सरसों और मूंगफली जैसी फसलों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि सरसों की फसल के तहत क्षेत्र को 2030 तक वर्तमान 90 लाख हेक्टेयर (LH) से बढ़ाकर 150 LH करने की आवश्यकता है. इसके साथ, भारत 22.5 मिलियन टन सरसों और 9 मिलियन टन सरसों के तेल की खेती का लक्ष्य रख सकता है. उन्होंने कहा कि 2020-21 में सरसों तेल का उत्पादन 32 लाख टन था.

मूंगफली के रकबे में भी बढ़त का अनुमान

सरसों की तरह मूंगफली के रकबे को 2030 तक मौजूदा 51 LH से बढ़ाकर 61 LH तक बढ़ाया जाए. इसके साथ, भारत 11 मिलियन टन मूंगफली और 4.5 मिलियन टन मूंगफली तेल का लक्ष्य रख सकता है. 2020-21 में मूंगफली तेल का उत्पादन 0.7 मिलियन टन था. उन्होंने 2020-21 में घरेलू वनस्पति तेल की खपत 21.7 मिलियन टन से 2030 तक लगभग 33.8 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया. 2020-21 में 8.9 मिलियन टन से 2029-30 तक घरेलू उत्पादन में 20.9 मिलियन टन की वृद्धि से आयात निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी.

जीएम फसल को अपनाने की आवश्यकता

सरसों, सोयाबीन और अन्य तिलहन फसलों पर ध्यान देने के साथ ही जीएम फसल प्रौद्योगिकी को लागू करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि घरेलू मांग को पूरा करने के बाद भारत एशिया में बड़े पैमाने पर तेल खली निर्यातक बन सकता है. उन्होंने कहा कि देश को खली, तिलहन और तेल निर्यात पर अब ध्यान देने की जरूरत है. तभी जाकर देश आत्मनिर्भर बन पाएगा. इतना ही नहीं इससे सोया और रेपसीड मील के निर्यात से लंबी अवधि में घरेलू फसल वृद्धि को भी बढ़ावा मिलेगा. 

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