पिछले कुछ समय से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की राशि बढ़ाने की मांग उठ रही है. वहीं, किसान लंबे समय से एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं. इस बीच मंगलवार को संसदीय पैनल ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत सालाना मिलने वाली 6,000 रुपये की आर्थिक मदद को दोगुना कर 12,000 रुपये सालान करने की सिफारिश की है. साथ ही किसानों को फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने की भी सिफारिश की है.
कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी स्थायी समिति ने ये सिफारिशें मंगलवार को लोकसभा में पेश की. इस समिति की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी कर रहे हैं. उन्होंने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की ‘अनुदान मांगों (2024-25)’ पर अपनी पहली रिपोर्ट (अठारहवीं लोकसभा) में प्रस्तुत की.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीएम किसान योजना के तहत दी जाने वाली 6,000 रुपये की सहायता राशि को बढ़ाकर 12,000 रुपये सालाना किया जा सकता है. साथ ही समिति का मानना है कि पीएम किसान योजना का दायरा बढ़ाते हुए इसमें काश्तकारों और खेत मजदूरों को भी शामिल किया जा सकता है.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कृषि विभाग को किसानों को कानूनी गारंटी के तौर पर एमएसपी देने के लिए जल्द ही एक रोडमैप जारी करने की जरूरत है. रिपोर्ट में कहा गया कि कृषि से जुड़ी व्यापार नीति के ऐलान से पहले किसानों के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श करने की भी जरूरत है, क्योंकि कृषि उपज पर बदलती अंतरराष्ट्रीय इंपोर्ट-एक्सपोर्ट पॉलिसी के कारण किसानों को घाटा होता है.
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समिति ने सीएसीपी (कृषि लागत और मूल्य आयोग) की तर्ज पर एक स्थायी निकाय/संस्था बनाने की भी सिफारिश की है, जिसमें कृषि विशेषज्ञों के साथ-साथ किसानों के प्रतिनिधियों शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा, समिति ने किसानों और खेत मजदूरों के लिए कर्जमाफी योजना, खेतिहर मजदूरों को न्यूनतम जीवनयापन मजदूरी के लिए राष्ट्रीय आयोग स्थापित करने की सिफारिश की है.
समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि सरकार को अपनी स्वास्थ्य बीमा योजना - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) की तरह पर 2 हेक्टेयर तक कृषि भूमि वाले छोटे किसानों को अनिवार्य सार्वभौमिक फसल बीमा देने के बारे में विचार करना चाहिए.
इसके अलावा समिति ने ‘कृषि और किसान कल्याण विभाग (मंत्रालय)’ का नाम बदलने की भी सिफारिश करते हुए इसे ‘कृषि, किसान और खेत मजदूर कल्याण विभाग’ नाम देने की अपील की है. कृषि मंत्रालय के नाम को लेकर समिति ने कहा कि कमेटी ऊपर बताए गए नाम परिवर्तन की पुरजोर सिफारिश करती है. यह परिवर्तन कृषि प्रशासन को सुव्यवस्थित करने और खेती-किसानी में काम करने वाले लोगों की विविध जरूरतों पर ध्यान देने के लिए के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा. इससे भारत में कृषि विकास के लिए ज्यादा समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा.