देश के कई राज्यों में मॉनसून का आगमन हो गया है. इसके साथ ही किसान खरीफ सीजन की तैयारी में लग जाएंगे. खास कर बरसात के मौसम में सबसे अधिक धान की खेती होती है, लेकिन बिहार में धान के अलावा अरहर की खेती करने वाले किसानों के पास अभी अच्छा मौका है. राज्य सरकार अरहर की खेती को बढ़ावा देने के लिए खरीफ अरहर प्रोत्साहन कार्यक्रम 2024-25 के अंतर्गत बंपर सब्सिडी दे रही है. अगर किसान इस सब्सिडी का फायदा उठाना चाहते हैं, तो कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं और अरहर की खेती करके बेहतर कमाई कर सकते हैं.
खरीफ अरहर प्रोत्साहन कार्यक्रम 2024-25 के अंतर्गत बिहार के 38 जिलों के किसान इस सब्सिडी का लाभ ले सकते हैं. इसमें एक क्लस्टर 25 एकड़ का होगा. वहीं, लाभार्थी को कम से कम एक एकड़ और अधिक से अधिक दो एकड़ की खेती पर सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा. इसके तहत अरहर खेती करने के लिए 3600 रुपये प्रति एकड़ सब्सिडी दी जाएगी.
खरीफ सीजन में अरहर की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार की ओर से राज्य के सभी जिलों के किसानों को अरहर का बीज दिया जा रहा है. इसमें 10 वर्ष से अधिक पुराने बीज 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से दिए जा रहे हैं. बिहार में प्रमाणित बीज उत्पादन प्रोत्साहन कार्यक्रम के अंतर्गत 5000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कुल 2980 क्विंटल अरहर का प्रमाणित बीज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. किसानों को इस योजना के लिए कोई भी जानकारी लेनी हो तो वे अपने क्षेत्रीय कृषि पदाधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.
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1. राज्य के सभी 38 जिलों में अरहर की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. वहीं, योजना का काम क्लस्टर में किया जाएगा और एक क्लस्टर 25 एकड़ का होगा.
2. प्रत्येक लाभार्थी को बीज वितरण के लिए न्यूनतम एक एकड़ और अधिकतम दो एकड़ पर सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा.
3.अरहर फसल प्रत्यक्षण स्कीम के अंतर्गत 3600 रुपये प्रति एकड़ सब्सिडी दी जाएगी.
4.अरहर बीज वितरण (10 वर्ष से पुरानी किस्म) स्कीम के अंतर्गत 2500 रुपये प्रति क्विंटल प्रमाणित अरहर बीज का वितरण किया जा रहा है.
5. प्रमाणित बीज उत्पादन प्रोत्साहन कार्यक्रम के अंतर्गत 5000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कुल 2980 क्विंटल अरहर का प्रमाणित बीज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है.
ज्यादातर किसान अरहर की खेती छींटा विधि से करते हैं, जिससे कहीं ज्यादा तो कहीं कम बीज बोए जाते हैं. इससे कहीं घनी तो कहीं खाली फसल तैयार होती है. इससे फसल में कमी आती है क्योंकि घना हो जाने से पौधों को उचित धूप, पानी और खाद नहीं मिल पाती है. इसके लिए किसान को 20 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज लगाने चाहिए. इससे बीज दर भी कम लगता है.