महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला, गाय को दिया राज्यमाता का दर्जा

महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला, गाय को दिया राज्यमाता का दर्जा

इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "देशी गायें हमारे किसानों के लिए वरदान हैं. इसलिए, हमने उन्हें यह ('राज्यमाता') दर्जा देने का फैसला किया है. हमने गोशालाओं में देशी गायों के पालन-पोषण के लिए भी मदद देने का फैसला किया है."

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 30, 2024,
  • Updated Sep 30, 2024, 4:52 PM IST

महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को बड़ा निर्णय लिया. यहां कि शिंदे सरकार ने गाय को राज्यमाता का दर्जा दिया है. महाराष्ट्र सरकार ने गोमाता का दर्जा दिया है. गाय को राज्यमाता का दर्जा देते हुए महाराष्ट्र की महायुती सरकार ने शासन निर्णय जारी कर दिया है. इस बारे में आज की कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाला है. अभी तारीखों की घोषणा नहीं हुई है, हालांकि उससे पहले शिंदे सरकार ने गाय को राज्यमाता का दर्जा देने वाला बड़ा फैसला किया है.

सरकार के निर्णय में कहा गया है, वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में देशी गाय की स्थिति, मानव आहार में देशी गाय के दूध की उपयोगिता, आयुर्वेद चिकित्सा, पंचगव्य उपचार पद्धति और जैविक कृषि प्रणालियों में देशी गाय के गोबर और गोमूत्र के महत्वपूर्ण स्थान को ध्यान में रखते हुए यह देशी गायों को अब से "राज्यमाता गोमाता" घोषित करने की मंजूरी दी गई है.

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इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "देशी गायें हमारे किसानों के लिए वरदान हैं. इसलिए, हमने उन्हें यह ('राज्यमाता') दर्जा देने का फैसला किया है. हमने गोशालाओं में देशी गायों के पालन-पोषण के लिए भी मदद देने का फैसला किया है." गाय के सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने उसे राज्यमाता का दर्जा दिया है. सरकार ने गाय को राज्यमाता का दर्जा देते हुए उसे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक पहलुओं के बारे में भी बताया है.

...इसलिए दिया राज्यमाता का दर्जा

राज्य के कृषि, डेयरी विकास, पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग की ओर से जारी सरकारी प्रस्ताव में कहा गया है कि अन्य कारकों में मानव पोषण में देशी गाय के दूध का महत्व, आयुर्वेदिक और पंचगव्य उपचार और जैविक खेती में गाय के गोबर का उपयोग शामिल है. एक अधिकारी ने कहा कि राज्य विधानसभा चुनावों से पहले आया यह फैसला भारतीय समाज में गाय के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि यह भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य में सदियों से गायों द्वारा निभाई गई अभिन्न भूमिका को उजागर करता है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय लेकर राज्य सरकार ने गाय के गोबर के कृषि लाभों को रेखांकित किया है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और मानव पोषण में योगदान देता है और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों को दर्शाता है.

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महाराट्र सरकार ने राज्यमाता का दर्जा देते हुए देशी गायों की घटती संख्या पर भी चिंता जाहिर की है. वैसे भी, भारत में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है और हिंदू धर्म में इसकी पूजा की जाती है. इसके अलावा, इसके दूध, मूत्र और गोबर को पवित्र माना जाता है और इनका भरपूर इस्तेमाल किया जाता है. गाय का दूध मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है, जबकि गोमूत्र से कई बीमारियों के इलाज का दावा किया जाता है. इन सभी बातों पर गौर करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने गाय को राज्यमाता का दर्जा दिया है.

 

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