Success Story : छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाएं जानवरों से खेतों की सुरक्षा के लिए बना रहीं जाली तार फेंसिंग

Success Story : छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाएं जानवरों से खेतों की सुरक्षा के लिए बना रहीं जाली तार फेंसिंग

छत्तीसगढ़ में गांव की महिलाओं ने आवारा पशुओं से किसानों के खेतों को सुरक्षि‍त बनाने के लिए अब कारोबारी बनने की पहल की है. गांव के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने किसानों को खेत की फेंसिंग हेतु तार की जाली बनाने का कारोबार शुरू कर दिया है. इससे ये महिलाएं न केवल किसानों की मददगार बन रही हैं, बल्कि खुद अपनी वित्तीय हालत बेहतर बनाकर अपना भी भविष्य संवार रही हैं.

छत्तीसगढ़ में ग्रामीण महिलाओं ने खेतों की सुरक्षा के लिए जाली तार फेंसिंग बनाने का कारोबार शुरू किया, फोटो: साभार छग. सरकारछत्तीसगढ़ में ग्रामीण महिलाओं ने खेतों की सुरक्षा के लिए जाली तार फेंसिंग बनाने का कारोबार शुरू किया, फोटो: साभार छग. सरकार
न‍िर्मल यादव
  • Raipur,
  • Sep 13, 2023,
  • Updated Sep 13, 2023, 8:01 AM IST

छत्तीसगढ़ के महासमुंद में शेर ग्राम की महिलाओं ने समूह बनाकर जाली फेंसिंग बनाने के अपने कारोबार को गति दे कर इस काम को अपनी आजीविका का साधन बनाया है. इस गांव के सुआ महिला समूह ने आवारा पशुओं से फसल की सुरक्षा के लिए गांव के स्तर पर ही समाधान निकालने की पहल करते हुए इस जाली फेंसिंग बनाने के कारोबार को अपनाया है. इस महिला समूह की मेहनत और संघर्ष की कहानी अब दूसरे गांवों तक पहुंच कर ग्रामीण महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रेरित कर रही है. छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार का दावा है कि शासन की बिहान योजना से जुड़कर ग्रामीण महिलायें इस प्रकार के तमाम लघु उद्योगों को अपना कर इन्हें अपनी आजीविका का साधन बना रही है.

खेत खलिहान की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहीं महिलाएं

राज्य सरकार की ओर से गई जानकारी के मुताब‍िक महासमुंद विकासखंड के शेर ग्राम का सुआ महिला स्वयं सहायता समूह की महिलायें अपनी अनूठी कारोबारी पहल के लिए चर्चा के केंद्र में हैं. इस समूह ने स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न करने में ग्रामीण महिलाओं की सहायता करने वाली बिहान योजना का लाभ उठा कर खेत-खलिहानों की सुरक्षा के लिए तार जाली फेंसिंग बनाने के कारोबार को अपनाया है.

ये भी पढ़ें, क‍िसानों के ल‍िए खुशखबरी, जापान की मदद से बनाए जाएंगे 400 पैक हाउस...जान‍िए क्या होगा फायदा?

लाखों में होने लगी आय

नायक ने बताया कि उनके समूह ने फेंसिंग के लिए तार जाली के 15-20 बंडल प्रतिदिन बनाने से कारोबार की शुरुआत की थी. अब तक उनका समूह 2000 बंडल तार जाली का निर्माण कर चुका है. इन बंडलाें को सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से बेचा जाता है. इसकी बिक्री से समूह की मासिक आय लगभग 6 लाख रुपये तक पहुंच गई है.

उन्होंने बताया कि स्वयं सहायता समूह का गठन होने के बाद बिहान योजना के तहत समूह को आरएफ राशि के रूप में 15000 रुपये का अनुदान सरकार की ओर से दिया गया. इसके साथ ही समूह को कारोबार की लागत के लिए 2 लाख रुपये का ऋण भी दिया गया. इस ऋण से समूह ने मशीनों सहित अन्य जरूरी सामग्री खरीद कर तार जाली का उत्पादन करना शुरू किया. उन्होंने बताया कि बिहान योजना से मिले सहयोग की बदौलत उनका समूह महज दो साल में आत्मनिर्भर बन गया है.

ये भी पढ़ें, Subsidy for Cow: गायों की डेयरी खोलने पर पाएं 31 लाख, जानें क्या है योजना और आवदेन की प्रक्रिया

समूह में काम करने के लाभ

सरकार की ओर से बताया गया कि बिहान योजना में महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर गांव की महिलाएं सफल कारोबार कर रही हैं. इ योजना के तहत समूह के माध्यम से गांव की महिलाएं कारोबार के लिए संयुक्त रूप से पैसा जुटा सकती हैं, बैंक से लोन ले सकती हैं और व्यापारिक क्रियाओं में शामिल हो कर अपनी पूंंजी में इजाफा कर सकती हैं. इसके अलावा, इन समूहों में महिलाएं आपस में ज्ञान और अनुभव साझा कर दूसरे समूहों को भी आत्मनिर्भर बनने में मदद पहुंचा सकती हैं.

MORE NEWS

Read more!