
महाराष्ट्र सरकार ने समय पर ई-क्रॉप सर्वे के लिए आवेदन न कर पाने वाले किसानों को बड़ी राहत दी है. अब ऐसे किसान 15 जनवरी तक ऑफलाइन आवेदन देकर अपना पंजीकरण पूरा कर सकेंगे. राज्य सरकार ने कहा है कि किसी भी वास्तविक किसान को सिर्फ तकनीकी दिक्कतों की वजह से अपनी उपज सरकारी खरीद केंद्रों पर बेचने से वंचित नहीं होने दिया जाएगा. राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने विधानसभा में बताया कि ई-क्रॉप सर्वे पोर्टल तकनीकी कारणों से दोबारा नहीं खोला जा सकता. लेकिन, हजारों किसानों की परेशानी को देखते हुए ऑफलाइन खिड़की शुरू की जा रही है.
ई-क्रॉप सर्वे या ई-पिक पाहनी वह प्रक्रिया है, जिसके जरिए किसान मोबाइल ऐप पर अपनी फसल की जानकारी भरते हैं. यह डेटा आगे 7/12 भूमि रिकॉर्ड में दिखता है और सरकारी खरीद के लिए अनिवार्य होता है. विधायक विक्रम पाचपुटे ने सदन को बताया कि जिन किसानों का ई-क्रॉप सर्वे रिकॉर्ड में नहीं है, उनकी उपज नाफेड और अन्य सरकारी एजेंसियां खरीद नहीं पातीं. कई किसानों ने शिकायत की थी कि समय सीमा बढ़ने के बावजूद पोर्टल पर टेक्निकल समस्याओं के कारण वे पंजीकरण नहीं कर सके.
किसानों को राहत देने के लिए सरकार अब उपखंड स्तर पर एक समिति बनाएगी, जो सभी ऑफलाइन आवेदनों की जांच करेगी. समिति में एसडीओ, तहसीलदार, बीडीओ और तालुका कृषि अधिकारी शामिल होंगे. यह समिति जरूरत पड़ने पर खेतों का निरीक्षण करेगी, तथ्य जांचेगी और जरूरी होने पर पंचनामा भी तैयार करेगी. खरीफ सीजन समाप्त हो चुका है, फिर भी सरकार चाहती है कि वास्तविक किसानों की उपज सरकारी खरीद में शामिल हो सके.
समिति की जांच रिपोर्ट जिला कलेक्टर को भेजी जाएगी. कलेक्टर इसे मार्केटिंग विभाग के माध्यम से केंद्र सरकार तक पहुंचाएंगे, ताकि किसानों की फसल खरीद की प्रक्रिया में कोई रुकावट न रहे. मंत्री बावनकुले ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऑफलाइन प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.
यह सुविधा केवल वास्तविक किसानों के लिए है और किसी भी व्यापारी या दलाल को इसका फायदा नहीं उठाने दिया जाएगा. हर आवेदन की कड़ी जांच जरूरी होगी. सरकार के इस कदम से उन किसानों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, जो पोर्टल बंद होने की वजह से अपनी फसल बिक्री को लेकर लगातार चिंता में थे. (पीटीआई)