
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में प्राकृतिक आपदा पीड़ितों के नाम पर मिलने वाली मुआवजा राशि (फसल मुआवजा) में बड़ा घोटाला सामने आया है. ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि तहसीलों में पदस्थ बाबुओं ने राहत की रकम अपने पत्नी, बेटे, पिता, बहन और अन्य रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर कर दी. मामले की पुष्टि होने के बाद कलेक्टर भव्या मित्तल ने चार बाबुओं को शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया है. इस घोटाले में 16 लाख रुपये से अधिक के गबन की बात सामने आई है.
यह मामला तब उजागर हुआ जब पिछले वर्ष महालेखाकार मध्य प्रदेश ग्वालियर की टीम ने खरगोन जिले में ऑडिट किया. ऑडिट के दौरान पाया गया कि प्राकृतिक आपदा के बाद जिन हितग्राहियों को मुआवजा मिलना था, उनकी राशि जानबूझकर असफल भुगतान दिखाकर दोबारा भुगतान के नाम पर अपात्र लोगों के खातों में डाली गई.
कलेक्टर भव्या मित्तल ने बताया कि विभागीय जांच में यह गड़बड़ी पूरी तरह साबित हो गई है. जांच में सामने आया कि कर्मचारियों ने सुनियोजित तरीके से अपने परिजनों और जानकारों के बैंक खातों का इस्तेमाल कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया. अनियमितता सिद्ध होने पर चारों कर्मचारियों को पद से पृथक कर दिया गया है. गबन की गई राशि की वसूली भी कर ली गई है.
बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में भीकनगांव तहसील से संतोष मंडलोई, भगवानपुरा से मनीष चौहान और प्रवीण मंडलोई, तथा खरगोन तहसील ग्रामीण से मनोज कदम शामिल हैं. जांच में यह भी सामने आया कि संतोष मंडलोई ने अपने बेटे, पत्नी और एक ठेकेदार के खातों में राशि ट्रांसफर कराई. मनीष चौहान ने स्वयं, पत्नी, पिता और बहन के खातों में पैसे ट्रांसफर कराए. वहीं, प्रवीण मंडलोई और मनोज कदम ने निजी ऑपरेटरों के माध्यम से राशि की हेराफेरी की.
इस पूरे मामले में गोगावां क्षेत्र के निजी ऑपरेटर संतोष मंडलोई उर्फ श्याम सोलंकी की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है. जिला प्रशासन ने उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2011 से 2024 के बीच प्राकृतिक आपदा के 113 मामलों में करीब 16 लाख रुपये से अधिक का गबन किया गया.
कई मामलों में वास्तविक पीड़ितों की राहत राशि किसी और व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर कर दी गई. जैसे कहीं रामलाल की फसल खराब होने की राशि श्यामलाल के खाते में डाली गई तो कहीं रामेश्वर कुशवाह की जगह प्रताप सिंह चौहान के खाते में भुगतान किया गया.
शिकायतें सामने आने के बाद दिसंबर 2024 में चारों कर्मचारियों को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू की गई थी. अब जांच पूरी होने के बाद उन्हें शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. प्रशासन का कहना है कि इस तरह की अनियमितताओं पर आगे भी सख्त कार्रवाई जारी रहेगी.