
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रालय में कैबिनेट की अहम बैठक आयोजित हुई. बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर चर्चा के साथ मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना को लेकर बड़ी घोषणा की गई है. मंत्रि-परिषद ने योजना के तहत दी जाने वाली मासिक आर्थिक सहायता राशि में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है. अब लाडली बहनों को हर महीने 1250 रुपये के बजाय 1500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना की शुरुआत मार्च 2023 में की गई थी. तब लाभार्थी महिलाओं को 1000 रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जा रही थी.
बाद में सितंबर 2023 से इस राशि को बढ़ाकर 1250 रुपये किया गया था. अब राज्य सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण और आर्थिक आत्मनिर्भरता को और मजबूती देने के उद्देश्य से इस राशि में 250 रुपये की और बढ़ाेतरी की है. राज्य सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, नए प्रावधान के तहत नवंबर 2025 से पात्र महिलाओं को 1500 रुपये मासिक आर्थिक सहायता मिलने लगेगी.
योजना में इस वृद्धि के बाद वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य सरकार को 1793 करोड़ 75 लाख रुपये के अतिरिक्त बजट की जरूरत होगी. इस योजना पर आगामी वित्तीय वर्ष में अनुमानित तौर पर कुल 20,450 करोड़ 99 लाख रुपये खर्च होने की संभावना है.
मालूम हो कि बीते महीने भी मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना की लाभार्थियों को 1250 रुपये की मासिक किस्त के अलावा भाई दूज पर 250 रुपये अतरिक्त राशि दी गई थी. वहीं, अब लाभार्थी महिलाओं 1500 रुपये एकमुश्त मिलने लगेंगे, जो डीबीटी के तहत उनके खाते में ट्रांसफर किए जाएंगे. इससे पहले रक्षाबंधन पर भी लाभार्थियों को 250 रुपये अतिरिक्त शगुन के तौर पर दिए गए थे.
बता दें कि लाडली बहना योजना की शुरुआत मध्य प्रदेश से हुई, जो बहुत ही कम समय में इतनी लोकप्रिय हुई कि कई राज्यों ने भी इसे अपना लिया. हालांकि, अलग-अलग राज्यों में इसके नाम अलग हैं और योजना के तहत दी जाने वाली राशि भी अलग है.
छत्तीसगढ़- महतारी वंदन योजना
झारखंड - मुख्यमंत्री मईया सम्मान योजना
महाराष्ट्र - माझी लाडकी बहिन योजना
ओडिशा - सुभद्रा योजना
इसके अलावा कैबिनेट मीटिंग में मंत्रि-परिषद ने प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत सभी शासकीय भवनों पर रेस्को पद्धति से सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाने की मंजूरी दी है. इसमें सरकारी विभागों को कोई निवेश नहीं करना होगा, वे केवल इस्तेमाल की गई ऊर्जा के लिए भुगतान करेंगे. यह दर डिस्कॉम से कम होगी, जिससे सरकारी संस्थानों को बचत होगी. संयंत्रों का रखरखाव 25 वर्षों तक रेस्को इकाई द्वारा किया जाएगा.