केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने पांच अगस्त को कहा है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव इस साल सितंबर में होंगे. अनुच्छेद 370 हटाए जाने की पांचवीं सालगिरह पर उनके इस ऐलान को काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है् इस अनुच्छेद की वजह से जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हासिल था. रेड्डी जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के चुनाव प्रभारी भी हैं. उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश के लोगों से ‘विकास की गति’बनाए रखने और आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए बीजेपी को वोट देने की अपील की है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रेड्डी ने कहा कि पांच साल पहले पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाया था. इसके बाद से ही जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई की गतिविधियों को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सका है. रेड्डी केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री हैं. जम्मू और कश्मीर में 19 जून 2018 से ही राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है. उस समय पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद राज्य की सरकार गिर गई थी.
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वर्तमान में मनोज सिन्हा उपराज्यपाल (एलजी) के तौर पर जिम्मेदारियां निभा रहे हैं. बीजेपी लीडर की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से कहा है कि वह अपने गृह जिलों में तैनात अधिकारियों का तबादला कर दे. चुनाव आयोग चुनाव से पहले नियमित तौर पर यह काम करता है. इसके अलावा, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की अगुआई में चुनाव आयोग 8-10 अगस्त तक जम्मू-कश्मीर का दौरा करेगा. साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करेगा.
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चुनाव आयोग के आदेश से संकेत मिलता है कि केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के मुख्य सचिवों को भी इसी तरह के निर्देश जारी किए हैं. इन तीनों राज्यों में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. जम्मू-कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव साल 2014 में हुए थे. उस समय पीडीपी और बीजेपी ने गठबंधन की सरकार बनाई थी. 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद, जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया. नए परिसीमन से विधानसभा सीटों की संख्या भी बढ़ गई.