
महाराष्ट्र सरकार ने पुणे स्थित वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (VSI) को दिए गए रिसर्च फंड की जांच कराने का आदेश जारी किया है. राज्य के चीनी आयुक्त को निर्देश दिए गए हैं कि वे एक समिति गठित करें, जो यह परखे कि संस्थान को अनुसंधान और विकास (R&D) के लिए दी गई राशि का उपयोग सही ढंग से हुआ या नहीं. सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह फैसला मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में 30 सितंबर को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया था. इसके मिनट्स सोमवार को मिले, जिसके बाद समिति गठित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार हैं, जबकि उप मुख्यमंत्री अजीत पवार भी इस संस्थान के सदस्य हैं. पवार परिवार का गढ़ बारामती अब भाजपा के निशाने पर है. इससे पहले पार्टी ने ठाणे में सक्रियता बढ़ाई थी, जो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का राजनीतिक क्षेत्र है.
चीनी आयुक्त संजय कोल्टे ने बताया कि राज्य की सभी शुगर मिलों से VSI के लिए प्रति टन पेराई पर एक रुपया लिया जाता है. यह धन अनुसंधान और विकास गतिविधियों में खर्च किया जाता है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निधियों के दुरुपयोग की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है.
वहीं, एनसीपी (एसपी) के विधायक रोहित पवार ने इस जांच आदेश को राजनीतिक कदम करार दिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह निर्णय किसी नियमित प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है. रोहित पवार ने कहा, “ठाणे के बाद अब भाजपा की नजर बारामती पर है.”
रोहित पवार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि VSI ने राज्य की चीनी उद्योग को नई दिशा दी है और वर्षों से किसानों के हित में कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि शरद पवार, अजित दादा और अन्य नेताओं के नेतृत्व में यह संस्थान किसानों की बेहतरी के लिए समर्पित रहा है.
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब विपक्ष करोड़ों के भ्रष्टाचार के सबूत पेश करता है, तब सरकार चुप रहती है, लेकिन एक प्रतिष्ठित संस्थान पर जांच बैठाकर उसे बदनाम करने की कोशिश करती है.”
रोहित पवार ने आरोप लगाया कि भाजपा राजनीति में लाभ लेने के लिए संस्थानों की साख पर वार कर रही है, जिससे अंततः राज्य को नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए संस्थानों को निशाना बनाना भाजपा की आधुनिक राजनीति का उदाहरण है. (पीटीआई)