हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राज्य के गरीब परिवारों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना और मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत आवंटित शहरी क्षेत्रों में 50 वर्ग गज तक और ग्रामीण क्षेत्रों में 100 वर्ग गज तक के आवासीय जमीनों के रजिस्ट्रेशन पर कोई स्टांप शुल्क नहीं लिया जाएगा. CM ने विधानसभा में कलेक्टर दरों में बढ़ोतरी के मुद्दे पर विपक्ष द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे.
विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि इस विषय पर विपक्ष केवल जनता को गुमराह करने की नाकाम कोशिश कर रहा है. उन्होंने आंकड़े बताते हुए कहा कि वर्ष 2004-05 से 2014 तक विपक्ष के शासनकाल में कलेक्टर रेट में औसतन 25.11 प्रतिशत वृद्धि की गई थी, जबकि वर्तमान सरकार के 2014 से 2025 तक के कार्यकाल में यह वृद्धि मात्र 9.69 फीसदी है. साथ ही, सरकार ने रजिस्ट्री पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया है. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि स्टांप ड्यूटी 2008 से अब तक पुरुषों के लिए 7 प्रतिशत (जिसमें 2 प्रतिशत विकास शुल्क शामिल है) और महिलाओं के लिए 5 प्रतिशत की दर से लागू है और आज भी यही दरें लागू हैं.
विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए CM सैनी ने कहा कि यह मुद्दा कलेक्टर रेट बढ़ाने का नहीं बल्कि उन लोगों का है जो स्टाम्प ड्यूटी चोरी करने के लिए जमीन के सौदों में ब्लैक मनी का सहारा लेते हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष को गरीब और जरूरतमंद की आवाज उठानी चाहिए, न कि काला धन कमाने वालों का पक्ष लेना चाहिए. उन्होंने बताया कि गौशाला की जमीन की खरीद-फरोख्त पर 2019 में स्टाम्प ड्यूटी 1 प्रतिशत कर दी गई थी, जिसे वर्ष 2025 में पूरी तरह माफ कर दिया गया है.
कलेक्टर दरों में संशोधन के बारे में बताते हुए, सैनी ने कहा कि यह एक नियमित, पारदर्शी प्रक्रिया है जो प्रचलित बाजार मूल्यों के अनुरूप प्रतिवर्ष की जाती है. उन्होंने बताया कि कांग्रेस शासन के दौरान भी, दरों में नियमित रूप से संशोधन किया जाता रहा है. 2004-05 से 2013-14 तक अलग-अलग जिलों में 10 फीसदी से 300 फीसदी तक की वार्षिक वृद्धि हुई है.
उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते कि पिछली सरकारों में कलेक्टर रेट तय करने का कोई केंद्रीय फार्मूला नहीं था, बल्कि बिल्डरों और भू-माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए संशोधन किए जाते थे. यहां तक कि उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए उस क्षेत्र में कलेक्टर रेट कम रखा जाता था, जहां उनकी जमीनें होती थीं.
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के 2,46,812 खंडों में से 72 फीसदी में कलेक्टर दरों में केवल 10 फीसदी की वृद्धि की गई है. उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया एक तर्कसंगत, आंकड़ों पर आधारित और सूत्र पर आधारित है. प्रत्येक खंड में शीर्ष 50 फीसदी संपत्ति रजिस्ट्री का विश्लेषण किया गया, और जहां रजिस्ट्री मूल्य कलेक्टर दर से 200 फीसदी अधिक था, वहां अधिकतम 50 फीसदी की वृद्धि लागू की गई.