पंजाब में भगवंत मान की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार से इन दिनों किसान संगठन खासे नाराज हैं. समरला में हुई एक रैली में किसान नेताओं ने फिर से सरकार के खिलाफ अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है. यहां पर किसानों ने ऐलान किया है कि उन्हें फिर से संगठित होना है. समराला में हुई यह रैली संयुक्त किसान मोर्चा की ‘जित रैली’ थी और इसके दौरान विशाल शक्ति प्रदर्शन हुआ. इस प्रदर्शन से साफ है कि किसान संगठन एक बार फिर कृषि नीति की मांग पर सबका ध्यान केंद्रित का मन बना चुके हैं.
किसान संगठनों का कहना है कि पंजाब में आप सरकार कृषि नीति को लागू करने में असफल रही है जबकि इसका ड्राफ्ट करीब दो साल पहले ही तैयार किया गया था. उनका कहना है कि इसे पिछले साल सितंबर में किसान यूनियनों के सामने चर्चा के लिए पेश किया गया था और तब से इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है. कुछ किसान नेताओं ने पंजाब राज्य किसान एवं कृषि श्रमिक आयोग की ओर से तैयार किए गए ड्राफ्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल के हवाले से अखबार द ट्रिब्यून ने लिखा कि वो जल्द ही सरकार से नीति लागू न करने के कारणों पर सवाल उठाना शुरू करेंगे. उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि आप सरकार को किसानों के कल्याण की कोई चिंता नहीं है और वह इसे लागू नहीं करना चाहती. वास्तव में, जब भी हम सरकार से सवाल करते हैं, तो वे किसान यूनियन नेताओं को गिरफ्तार करके उनके पीछे पड़ जाते हैं.' आप सरकार ने शुरुआत में मार्च 2023 तक कृषि नीति लागू करने की घोषणा की थी. उसी साल अक्टूबर में, पंजाब राज्य किसान और खेत मजदूर आयोग ने अपना ड्राफ्ट मुख्यमंत्री को सौंपा था.
बीकेयू (एकता-उग्राहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि किसानों को सरकार की मंशा पर शक है. उन्होंने कहा, 'हमने पिछले साल सरकार को मसौदा नीति पर अपने सुझाव दिए थे. लेकिन वो राजनीति में व्यस्त हैं और कुछ कॉर्पोरेट घरानों के डर से सहमे हुए हैं, जो नहीं चाहते कि नीति लागू हो. ऐसा लगता है कि सरकार के पास लोगों के कल्याण के लिए बहुत कम समय है.' उनका कहना था कि यह सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि आप से पहले राज्य पर शासन करने वाली बाकी पार्टियों के लिए भी सच है. उन्होंने सवाल किया कि क्या यह अजीब नहीं है कि पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है, लेकिन आज तक इसकी कोई कृषि नीति नहीं है?
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