Assembly Election 2023 : एमपी और छत्तीसगढ़ में किसानों के मुद्दों ने दी चुनाव को निर्णायक दिशा

Assembly Election 2023 : एमपी और छत्तीसगढ़ में किसानों के मुद्दों ने दी चुनाव को निर्णायक दिशा

एमपी और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का पैटर्न बहुत हद तक एक समान धरातल पर टिका दिखाई दिया. दोनों राज्यों में खेती किसानी के मुद्दे चुनाव में हावी रहे. सियासी हालात ने दोनों राज्यों में सत्ता की दावेदार भाजपा और कांग्रेस को उनकी चुनावी रणनीति किसानों के मुद्दों पर ही केंद्रित रखने के लिए मजबूर कर दिया.

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न‍िर्मल यादव
  • Bhopal,
  • Dec 04, 2023,
  • Updated Dec 04, 2023, 6:14 PM IST

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम से इतना तो साफ हो गया कि एमपी और छत्तीसगढ़ में चुनावी मुद्दे भले ही खेत खलिहान और किसानों के इर्द गिर्द रहे, मगर दोनों राज्यों में भाजपा को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाने में महिला मतदाताओं ने निर्णायक भूमिका निभाई. इससे स्पष्ट है कि महिलाओं के जिन मुद्दों को चुनाव में भरपूर समर्थन मिला, वे भी गांव देहात और गरीब तबकों से ताल्लुक रखती हैं. कुल मिलाकर एमपी और छत्तीसगढ़ में किसानों और महिलाओं के मुद्दों ने चुनाव में गांव की भूमिका को अहम बना दिया. इसकी मूल वजह इन दोनों राज्यों में ग्रामीण मतदाताओं की निर्णायक भागीदारी होना है.

कांग्रेस की कर्ज माफी का वादा

एमपी और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी करने के लिए 2018 के चुनाव में किसानों के सभी प्रकार के कर्जे माफ करने का वादा किया था. इस वादे काे किसानों ने हाथों हाथ लिया और दोनों राज्यों में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की. मगर एमपी में 18 महीने की कमलनाथ सरकार ने किसानों कर्ज माफी का फैसला तो किया, लेकिन इसे पूरी तरह से अमल में नहीं ला पाई.

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वहीं छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने किसानों के कर्ज तो माफ किए लेकिन नए कर्ज से किसानों को बचाने का कोई कारगर उपाय न होने के कारण किसान फिर कर्ज के चंगुल में फंस गए. कांग्रेस ने इस चुनाव में एक बार फिर किसानों से कर्ज माफ करने का वादा कर दिया. लेकिन पिछले अनुभव से आहत किसानों ने दोनों राज्यों में कांग्रेस के इस वादे को नकार दिया. यह बात चुनाव परिणाम से साबित भी हो गई.

एमएसपी की नहीं बोनस की गारंटी

किसानों की उपज को उचित मूल्य दिलाने के लिए एमएसपी पर फसलों को खरीदने की गारंटी को इस चुनाव में मुद्दा बनाया गया. एक तरफ किसान संगठन एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की मांग पर अड़े थे, वहीं भाजपा और कांग्रेस किसानों से एमएसपी पर गेहूं और धान की खरीद करने के साथ बोनस देने का वादा कर रहे थे.

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने धान की खरीद पर बोनस देने का सफल प्रयोग करने का दावा करते हुए अगले कार्यकाल में 3000 रुपये प्रति कुंतल पर धान की खरीद करने का वादा किया. इसी प्रकार एमपी में भी कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की तर्ज पर किसानों के लिए न्याय योजना के तहत गेहूं और धान की खरीद करने का वादा किया. मगर कांग्रेस किसानों को यह नहीं बता पाई कि न्याय योजना को कैसे लागू करेगी.

किसानों को रास आ गई भाजपा की गारंटी

भाजपा ने अपने चुनावी वादे में गेहूं और धान की खरीद, कांग्रेस द्वारा घोषित मूल्य से ज्यादा कीमत पर खरीदने काे प्रमुखता दी. भाजपा ने किसानों से 2700 रुपये प्रति कुंतल की कीमत पर गेहूं और 3100 रुपये प्रति कुंतल की कीमत पर धान की खरीद करने का वादा किया. 

साथ ही भाजपा ने किसानों की कर्ज माफी के बजाए ब्याज माफी योजना को बड़े पैमाने पर लागू करने का भी वादा किया. भाजपा सरकार इससे पहले डिफॉल्टर घोषित किए गए 12 लाख किसानों के कर्ज का ब्याज माफ कर चुकी है. इस आधार पर किसानों काे कांग्रेस की कर्ज माफी के बजाए भाजपा का ब्याज माफी का वादा ज्यादा व्यवहारिक लगा. जिसे किसानों ने चुनाव में तरजीह भी दी.

इसके अलावा गांव के गरीबों को मिल रहे मुफ्त राशन की गारंटी के अलावा एमपी में किसानों को मिल रही पीएम किसान सम्मान निधि के साथ सीएम किसान कल्याण निधि का पैसा भविष्य में भी मिलते रहने की गारंटी ने अपना असर दिखा दिया.

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गांव की गरीब महिलाओं ने नैया लगाई पार

ग्रामीण आबादी की बहुलता वाले एमपी में शिवराज सरकार की लाड़ली बहना और लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत निम्न आय वर्ग की महिलाओं को हर महीने एकमुश्त राशि दी जाती है. भाजपा ने अपने चुनावी वादे में इन दोनों योजनाओं में मिलने वाली राशि में इजाफा करने की बात प्रमुखता से कही. साथ ही यह प्रचारित किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आ गई तो इन योजनाओं को बंद कर देगी.

शहर के गरीब परिवारों और गांव के भूमिहीन गरीब किसान परिवारों के लिए के लिए लाडली योजना का पैसा एक बेहतर सहारा साबित हो रहा है. वहीं किसान सम्मान निधि एवं किसान कल्याण निधि के हकदार लघु एवं सीमांत किसानों के परिवार की महिलाओं को मिल रहा लाड़ली योजनाओं का लाभ बोनस के रूप में मिल रहा है. इस प्रकार नगद पैसा देने वाली इन योजनाओं को सुचारू रखने और कांग्रेस के जीतने पर उनको बंद कर देने की आशंका ने ग्रामीण मतदाताओं का भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण करने का पूरा मौका दिया.

महिलाओं ने मतदान में उम्मीद से ज्यादा हिस्सेदारी करके इस ध्रुवीकरण को भाजपा की ऐतिहासिक जीत का मजबूत आधार बना दिया. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 40 विधानसभा सीटों पर पुरुषों से ज्यादा मतदान किया. आम तौर पर महिलाओं का मत प्रतिशत पुरुषों की तुलना में कम रहता है. एमपी और छत्तीसगढ़ में महिलाओं ने असामान्य तौर पर पुरुषों से ज्यादा मतदान कर भाजपा की जीत काे ऐतिहासिक बना दिया.

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