लोकसभा चुनाव के नतीजे आने में अब बस तीन दिन बचे हैं. 19 अप्रैल से लोकसभा चुनावों की शुरुआत हुई थी और 1 जून को सांतवें चरण के साथ इनका समापन हो जाएगा. 4 जून को चुनाव के नतीजे आने वाले हैं. वहीं राजनीतिक दल और पंडित अभी भी एक हैरान करने वाले आंकड़े को समझने में लगे हैं कि इस बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक मतदान किया है. चुनाव आयोग की तरफ से भी पिछले दिनों इस बात की जानकारी दी गई है कि पुरुषों की तुलना में इस बार महिला वोटर्स की संख्या ज्यादा रही. माना जा रहा है कि मंगलवार को जब चुनावों के नतीजे आएंगे तो इन महिला वोटर्स का जीत में बड़ा योगदान होने वाला है.
चुनाव आयोग की तरफ से बताया गया कि इस बार हर चरण में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से ज्यादा ही रही है. पश्चिम बंगाल में इस बार 83.83 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान में हिस्सा लिया तो वहीं पुरुष मतदाताओं की अगर बात करें तो यह आंकड़ा 81.62 फीसदी रहा. 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में 57.12 प्रतिशत महिलाओं और 51.31 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया.
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बिहार में 51.95 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले 62.95 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया. वहीं झारखंड में 65.94 प्रतिशत महिलाओं ने और 64.87 प्रतिशत पुरुषों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इसी तरह से ओडिशा में 74.86 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया तो पुरुषों का मतदान प्रतिशत 74.07 फीसदी रहा. चुनाव आयोग की मानें तो यूपी से लेकर बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और यहां तक कि लद्दाख में भी महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से ज्यादा ही रही.
चुनाव आयोग (ईसीआई) के आंकड़ों के अनुसार, रजिस्टर्ड महिला वोटर्स की संख्या साल 2019 से करीब 4 करोड़ बढ़ी है. इसमें पहली बार मतदान करने वाली महिला मतदाताओं की संख्या लगभग 1.41 करोड़ है, जो पुरुष समकक्षों (1.22 करोड़) से अधिक है. कुछ दिनों पहले आई एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट में भी कुछ इसी तरह की बात कही गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि मौजूदा पहले चार चरणों में ज्यादातर निर्वाचन क्षेत्रों में साल 2019 के आम चुनाव की तुलना में कम से कम 1.2 करोड़ अधिक महिलाओं ने मतदान किया.
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20 मई को आई इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 373 संसदीय क्षेत्रों में से 270 में 2019 की तुलना में करीब 1.2 करोड़ महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि देखी गई. रिपोर्ट की मानें तो इस दौरान महिला मतदाताओं की हिस्सेदारी 93.6 लाख है, जो पुरुष समकक्षों की भागीदारी में 84.7 लाख की वृद्धि से बहुत अधिक है.
एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उज्ज्वला योजना, मातृ वंदना योजना और पीएम आवास योजना जैसी तीन महिला केंद्रित योजनाओं का ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण जमीनी स्तर पर प्रभाव पड़ रहा है. शायद इसी वजह से महिलाओं की भागीदारी इस चुनाव में बढ़ी है. उज्ज्वला योजना के तहत सब्सिडी दरों पर रसोई गैस मिलती है. जबकि मातृ वंदना योजना गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को आर्थिक मदद मुहैया कराती है. वहीं पीएम आवास योजना कम आय वाले निवासियों के लिए किफायती आवास तक पहुंच की सुविधा प्रदान करती है. इसका स्वामित्व किसी महिला सदस्य के नाम पर या ज्वॉइन्ट हो सकता है.