नॉर्थ ईस्ट का राज्य मणिपुर पिछले एक साल से ज्यादा समय से हिंसा से जूझ रहा है. इस हिंसा ने यहां पर किसानों का भी बड़ा नुकसान किया है. ऐसे में अब मणिपुर सरकार की तरफ से एक बड़ा फैसला किया गया है. मणिपुर सरकार ने गृह मंत्रालय की योजना के तहत राज्य में अभूतपूर्व संघर्ष से प्रभावित किसानों के लिए एक पैकेज के दूसरे फेज को मंजूरी दे दी है. सरकार के इस फैसले को एक महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि फैसला किसानों के लिए भी बड़ी मदद लेकर आएगा.
राज्य के सूचना मंत्री डॉक्टर सपाम रंजन सिंह ने कहा, '13.30 करोड़ रुपये के दूसरे फेज के प्रतिपूरक पैकेज से 2070 किसानों को फायदा होगा, जिनकी कृषि योग्य भूमि राज्य की वर्तमान स्थिति के कारण बर्बाद हो गई है.' 11 मार्च को मणिपुर सरकार ने 3,483 किसानों को फेज I के तहत प्रतिपूरक पैकेज के तहत 18.91 करोड़ रुपये का फायदा दिया गया है. राज्य में जारी संघर्ष की वजह से घाटी के किनारों और तलहटी में स्थित सैकड़ों एकड़ खेती योग्य जमीन बर्बाद हो गई है. हिंसा की वजह से उनकी देखभाल भी नहीं की जा रही है.
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राज्य कृषि विभाग की एक रिसर्च के अनुसार, 5,901 किसान हिंसा की वजह से प्रभावित हैं. नॉर्थ ईस्ट टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार मंत्रिमंडल ने न्यूनतम मजदूरी पर राज्य सलाहकार बोर्ड की तरफ से अनुशंसित अकुशल, कुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी को बदलने पर भी सहमति जताई है. डॉक्टर सपाम रंजन ने बताया कि प्रतिपूरक पैकेज का मकसद उन किसानों की सहायता करना है जिनके खेत मणिपुर में संकट के कारण बर्बाद हो गए हैं.
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डॉक्टर रंजन ने जानकारी दी कि पिछले साल पहले फेज में सरकार ने प्रभावित किसानों की मदद के लिए 18.91 करोड़ रुपये अलॉट किए थे. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कुकी उग्रवादियों की लगातार धमकियों के कारण महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र खाली पड़े हैं. इसमें किसान संगठनों की तरफ से 9,719 हेक्टेयर से अधिक जमीन के बर्बाद होने का अनुमान है. जबकि केंद्र के राहत पैकेज में सिर्फ केवल 5,127 हेक्टेयर भूमि ही शामिल है.