उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर शुक्रवार को किसानों ने पूरे नगर भर में ट्रैक्टर मार्च निकाला, जिसकी अगुवाई खुद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने की. इस ट्रैक्टर मार्च के दौरान एनजीटी कानून के दायरे में आने वाले 10 से 15 साल पुराने ज्यादातर ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया गया.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अगस्त का महीना क्रांति का महीना कहलाता है, जिसे किसान क्रांति भी कहते हैं. इसलिए भारतीय किसान यूनियन के द्वारा भारत सरकार से डिमांड की गई है कि इसको क्रांति दिवस के रूप में घोषित किया जाए.
राकेश टिकैत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज हम शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं और जल्द ही ओलंपिक गेम से बाहर हुईं विनेश फोगाट को एक दिन मुजफ्फरनगर जनपद में बुलाया जाएगा. उन्हें ट्रैक्टर पर बैठाकर लाएंगे और उनका भव्य कार्यक्रम यहां कराया जाएगा.
ये भी पढ़ें - जया बच्चन के आरोप पर भड़के सभापति जगदीप धनखड़, जया ने कहा- 'आपकी टोन ठीक नहीं...'
टिकैत ने मार्च में शामिल ट्रैक्टरों का जिक्र करते हुए कहा कि ये वही ट्रैक्टर हैं जो 15 साल पुराने 10 साल पुराने हैं. उन्होंने एनजीटी के नियम को हटाने की मांग की. कहा कि पूरे देश में अलग-अलग तरीके से मार्च निकाला जा रहा है. आज से और 13 अगस्त तक यह मार्च निकाला जाएगा. बहुत-सी जगहों पर सरकार मार्च को रोक रही है.
राकेश टिकैत ने कहा कि हमारे संयुक्त मोर्चा की डिमांड- एमएसपी गारंटी कानून स्वामीनाथन की रिपोर्ट, भूमि अधिग्रहण बिल, बिजली में सुधार आदि मुख्य हैं. किसान यूनियन का कहना है कि वे पिछले कई महीनों से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से उनकी मांगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
इस तिरंगा यात्रा में हजारों की संख्या में किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ हिस्सा ले रहे हैं. हर जिले में किसानों ने बड़ी संख्या में एकत्र होकर इस यात्रा को सफल बनाने के लिए अपनी ताकत झोंकी.
तिरंगे झंडे के साथ ट्रैक्टरों का यह विशाल काफिला गांव-गांव, कस्बा-कस्बा होते हुए शहरों की ओर बढ़ा, जिससे न केवल किसान, बल्कि आम जनता भी इस यात्रा के प्रति आकर्षित हुई. किसानों का यह काफिला हर जिले के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरा, किसान यूनियन के नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों की समस्याओं को कभी गंभीरता से नहीं लिया. किसानों की समस्याओं को नजर अंदाज किया जा रहा है. यही कारण है कि किसान आज सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गए हैं.