PHOTOS: इस विदेशी टेक्निक से बाल्टी में भी उगा सकते हैं टमाटर, जानिए आसान विधि

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PHOTOS: इस विदेशी टेक्निक से बाल्टी में भी उगा सकते हैं टमाटर, जानिए आसान विधि

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आइए टमाटर घर में लगाने और उगाने के बारे में जान लेते हैं. इसके लिए कई विधियां हैं पर हम आपको एक सटीक विधि बताते हैं जिसका विदेशों में अधिक प्रयोग होता है. इस विधि का नाम है डच बकेट विधि. जैसा कि नाम से जाहिर है, इस विधि में बाल्टी में टमाटर लगा सकते हैं.
 

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इस विधि से आप 5 अलग-अलग स्टेप्स में बाल्टी में टमाटर उगा सकते हैं. इन 5 स्टेप्स में हमें बाल्टी यानी कि मैटेरियल, पोषक तत्व से भरा पात्र, टमाटर का बिचड़ा, सिंचाई और सिस्टम की मॉनिटरिंग का ध्यान रखना होता है. इन 5 स्टेप्स को हम अलग-अलग तरीके से जान लेते हैं.
 

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इस स्टेप्स में हमें उन मैटेरियल को लेना होता है जिससे कि हम बाल्टी में टमाटर लगा सकें. इसमें सबसे पहले ढक्कन वाली बाल्टी लेते हैं. ग्रोइंग मीडियम यानी कि जिसमें पौधे को पनपना है उसके लिए परलाइट लेते हैं. इसके बाद सबमर्सिबल पंप और टमाटर के पौधे लेते हैं.
 

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न्यूट्रिएंट रिजर्वॉयर इसे आप किसी पात्र के रूप में ले सकते हैं जिसमें पौधों के लिए पोषक तत्वों को इकट्ठा किया जाता है. पात्र में पोषक तत्व लिक्विड के रूप में होते हैं. इस पात्र से एक पाइप लगी होती है जो टमाटर की बाल्टी से जुड़ी होती है. इस पाइप के जरिए पोषक तत्व गमले तक पहुंचाए जाते हैं.

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बाल्टी में टमाटर के पौधों को ग्रोइंग मीडियम जैसे कि परलाइट में लगाया जाता है. यहां परलाइट एक तरह का कंपोस्ट है जो कि पौधों की जड़ों को मजबूती देता है. बाल्टी के तल में छोटे-छोटे छेद रखे जाते हैं ताकि पोषक तत्व अधिक हों तो बाहर निकलते ही पाइप के माध्यम से न्यूट्रिएंट रिजर्वॉयर में वापस चले जाएं.
 

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टमाटर के पौधों को पाइप के जरिए पोषक तत्वों का लिक्विड दिया जाता है. इसके लिए पाइप को बाल्टी के ऊपरी हिस्से और परलाइट में दिया जाता है. यहां से पोषक तत्व पौधों के जड़ों तक पहुंचते हैं. जब आपको लगे कि पौधों को पानी की जरूरत है तो न्यूट्रिएंट रिजर्वॉयर के माध्यम से पौधों को पानी दे सकते हैं.
 

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बाल्टी में टमाटर के पौधे लगा रहे हैं तो हमेशा इसकी मॉनिटरिंग करते रहें. इसमें पोषक तत्वों का पीएच लेवल जांचते रहें और उसकी कमी हो तो उसे दुरुस्त करें. अगर पौधों में किसी पोषक तत्व की कमी है तो उसे पूरा करने का इंतजाम करें. पौधों पर कीट आदि के आक्रमण की भी मॉनिटरिंग करते रहें.

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