किसान अपनी खेतों में हर सीजन में कई तरह की फसलों की खेती करते हैं. इनमें गेहूं, धान, जौ, मक्के जैसी फसल लगाते हैं. लेकिन इन फसलों के साथ ही खेत में कई ऐसे पौधे उग आते हैं, जिन्हें खरपतवार कहा जाता है. असल में खरपतवार एक तरह के फसलों के दुश्मन होते हैं, जो अपने आप ही खेतों में उग आते हैं.
खरपतवार फसलों को मिलने वाले पानी, प्रकाश, पोषक तत्वों को पौधों तक नहीं पहुंचने देते. ऐसे में फसल की वृद्धि तो कम होती ही है साथ ही खरपतवार की ग्रोथ अधिक हो जाती है. इससे किसानों को नुकसान होता है. ऐसे में किसानों के लिए खरपतवार का नियंत्रण रखने के लिए बिहार सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की गई है. आइए जानते हैं पांच वो तरीके जिससे खरपतवार से फसलों को बचाया जा सकता है.
उपचारित बीज का प्रयोग: फसलों को खरपतवार से बचाने के लिए किसानों को फसलों की बुवाई के समय उपचारित बीज का प्रयोग करना चाहिए. उपचारित बीज की खेती करने से खरपतवार से छुटकारा मिल सकता है. दरअसल, उपचारित बीज से फसलों में रोग लगने का भी खतरा नहीं होता है और उत्पादन भी अधिक होता है.
खेतों की ग्रीष्मकालीन जुताई: जो किसान अधिक खरपतवार से परेशान हैं, वो अपने खेतों में ग्रीष्मकालीन जुताई करें. ग्रीष्मकालीन जुताई खरपतवार नियंत्रण के लिए बेहतर मानी जाती है. इसके लिए आप कल्टीवेटर का प्रयोग कर सकते हैं. इससे मिट्टी के पोषक तत्वों को बचाया जा सकता है. वहीं, खरपतवार की समस्या कम हो जाती है.
मल्चिंग विधि: मल्चिंग विधि से बिना रासायनिक दवा और खाद के भी मिट्टी की उत्पादक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है. वहीं, इसकी मदद से खेत को खरपतवारों से मुक्त कर सकते हैं. मल्चिंग तकनीक खरपतवार नियंत्रण और पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में बहुत कारगर साबित होती है. इसे पलवार या मल्च भी कहा जाता है.
उचित फसल चक्र का इस्तेमाल: इसके अलावा जो किसान फसलों में लगने वाले खरपतवार से काफी परेशान हैं वो खरपतवार से नियंत्रण के लिए उचित फसल चक्र का इस्तेमाल कर सकते हैं. यानी किसानों को सीजन के हिसाब से ही फसलों की खेती करनी चाहिए. इससे खरपतवार से छुटकारा मिलता है और पैदावार अधिक होती है.
सहफसली खेती: खरपतवार से नियंत्रण के लिए किसान सहफसली खेती भी कर सकते हैं. सहफसली यानी एक ही खेत में दो या उससे अधिक फसलों की खेती. इस विधि को अपनाने से संसाधनों की बचत, बेहतर पैदावार, कीटों को दूर करना और खरपतवारों को कम करने में मदद मिलती है.