तेलंगाना में डेयरी किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया. सरकार और विजया डेयरी के लंबित बिक का भुगतान करने की मांग को लेकर सभी किसान प्रदर्शन कर रहे थे. विरोध प्रदर्शन कर रहे डेयरी किसानों ने इस दौरान कोटागिरी मंडल केंद्र में बोडन-बांसवाड़ा रोड पर विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग पर आधे घंटे से अधिक समय तक यातायात बाधित रहा और सड़क जाम की स्थिति बन गई. इसके कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य सरकार ने पिछले तीन महीनों से डेयरी किसानों के बिल जारी नहीं किए हैं.
तीन महीने से बिल का भुगतान नहीं किए जाने के चलते डेयरी किसान पिछले तीन महीने से विजया डेयरी प्रबंधन से लंबित बिल जारी करने का अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन प्रबंधन की तरफ से हर बार इस मुद्दें पर टालमटोल रवैया अपनाया जा रहा है. इसके कारण किसान नाराज हो गए. किसानों ने कहा कि लंबे समय तक बकाया भुगतान न होने के कारण उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है और वे बाजार से मवेशियों का चारा भी नहीं खरीद पा रहे हैं. इसके कारण मवेशियों को भरपेट चारा खिला पाने में किसान खुद को असमर्थ महसूस कर रहे हैं.
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विरोध कर रहे किसानों की मांग है कि सरकार इस मुद्दे पर हस्तक्षेप और जल्द से जल्द डेयरी किसानों के लंबित बिलों का भुगतान किया जाए. ताकि किसानों की परेशानी थोड़ी कम हो सके. किसानों ने यह भी दावा किया जब तेलंगाना में बीआरएस की सरकार थी, उस दौराम किसानों को कभी इस तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा था. जबकि रेवंत रेड्डी की कांग्रेस सरकार में उन्हें इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. डेयरी किसानों ने चेतावनी दी कि अगर नके लंबित बिल जल्द से जल्द जारी नहीं किए गए तो वे अपना विरोध तेज करेंगे.
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उल्लेखनीय है कि तेलंगाना के पूर्व मूख्यमंत्री और बीआरएस नेता के चंद्रशेखर राव ने हाल ही में राज्य के कई जिलों का दौरा किया था और किसानों से मुलाकात भी की थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि राज्य में किसानों की दुर्दशा के लिए कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है. क्योंकि तेलंगाना कभी चावल उत्पादन के मामले में देश के अव्वल राज्यों में था पर आज यहां के किसान सिंचाई की समस्याओं से जूझ रहे हैं. यह कांग्रेस की किसान विरोधी नीतियों के कारण हुआ है. नहीं इन आरोपों पर पलटवार करते हुए कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया गया था कि बीआरएस सरकार के कार्यकाल में किसान आत्महत्या की दर बढ़ी है.