छत्तीसगढ़ में भाजपा ने राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में आदिवासी समुदाय से आने वाले पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय के नाम की घोषणा कर दी. भाजपा के संसदीय दल की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की अगुवाई में हुई विधायक दल की बैठक में साय के नाम पर सहमति बन गई. इसके बाद भाजपा नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन से मुलाकात कर उन्हें इस आशय के फैसले की जानकारी दी. विधायक दल की ओर से राज्यपाल को सौंपे गए पत्र में विधानसभा चुनाव में सबसे दल के नेता चुने गए साय की अगुवाई में सरकार का गठन करने का दावा पेश किया गया. इस पर राज्यपाल ने साय को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर लिया है.
राजभवन की ओर से जारी बयान के अनुसार नवनिर्वाचित विधायक दल के नेता चुने गए साय को राज्यपाल हरिचंदन ने नए मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सरकार का गठन करने के लिए आमंत्रित किया है. इससे पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव सहित पार्टी के अन्य नेताओं ने राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा पेश करने वाला पत्र सौंपा. इसमें रविवार को हुई विधायक दल की बैठक के फैसले से राज्यपाल को अवगत कराते हुए साय की अगुवाई में नई सरकार बनाने का दावा पेश किया गया.
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समझा जाता है कि सोमवार को एमपी और राजस्थान में भी मुख्यमंत्री पद पर चयन होने के बाद सोमवार की शाम को या मंगलवार को छत्तीसगढ़ की नवगठित सरकार काे शपथ ग्रहण कराई जाएगी. राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश करने गए नेताओं में साव और साय के अलावा भाजपा संसदीय दल की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षक अर्जुन मुंडा, सर्बानंद सोनोवाल, केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया, पार्टी के नेता ओम माथुर और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भी शामिल थे.
बतौर, मुख्यमंत्री साय का चयन होने के बाद भाजपा हाईकमान के निर्देश पर राज्य में पहली बार दो उपमुख्यमंत्री भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का ऐलान किया गया. उपमुख्यमंत्री पद पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव और विजय शर्मा के नाम की घोषणा की गई. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाने का फैसला किया गया है. गौरतलब है कि 15 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे डॉ सिंह और प्रदेश अध्यक्ष साव भी सीएम पद के दावेदारों में शामिल थे.
यह पहला अवसर है जब छत्तीसगढ़ में दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए हों. इससे पहले इस साल जून में कांग्रेस की तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार में टीएस सिंह देव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. वह राज्य के पहले उपमुख्यमंत्री थे. भाजपा नेतृत्व ने आदिवासी समुदाय के व्यक्ति को सीएम और दो डिप्टी सीएम बनाकर सवर्ण एवं ओबीसी समीकरणों को साधने का प्रयास किया है.
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छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा सरगुजा इलाके के लोगाें को भरोसा दिलाया गया था कि सरगुजा रियासत के राजा टीएस सिंह देव को सीएम बनाया गया जाएगा. इस उम्मीद में सरगुजा की जनता ने संभाग की सभी 14 सीटें कांग्रेस की झोली में डाल दी थी. चुनाव के बाद ढाई साल के लिए भूपेश बघेल और फिर अगले ढाई साल के लिए टीएस सिंह देव को सीएम बनाने की बात की गई. मगर, ढाई साल बाद भूपेश बघेल ने सत्ता छोड़ने से मना कर दिया.
कांग्रेस हाईकमान द्वारा टीएस सिंह को मुख्यमंत्री नहीं बनाने से सरगुजा की जनता में नाराजगी बढ़ गई. इसके बाद जून 2023 में चुनाव से ठीक पहले उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से जनता में संदेश गया कि अब टीएस को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा. इससे सरगुजा की जनता में उपजे रोष को भांपते हुए भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान राज्य का अगला सीएम सरगुजा से बनाने की बात प्रचारित करना शुरू कर दिया. गृह मंत्री अमित शाह ने एक जनसभा में सरगुजा की जनता से साय को जिताने की अपील करते हुए वादा किया कि अगर जनता उन्हें जिताएगी तो वह उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दिलाएंगे. शाह की अपील का ऐसा असर हुआ कि इस चुनाव में सरगुजा की सभी 14 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज करा दी.